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لَا يَنْهٰىكُمُ اللّٰهُ عَنِ الَّذِيْنَ لَمْ يُقَاتِلُوْكُمْ فِى الدِّيْنِ وَلَمْ يُخْرِجُوْكُمْ مِّنْ دِيَارِكُمْ اَنْ تَبَرُّوْهُمْ وَتُقْسِطُوْٓا اِلَيْهِمْۗ اِنَّ اللّٰهَ يُحِبُّ الْمُقْسِطِيْنَ   ( الممتحنة: ٨ )

Not
لَّا
नहीं रोकता तुम्हें
(does) forbid you
يَنْهَىٰكُمُ
नहीं रोकता तुम्हें
Allah
ٱللَّهُ
अल्लाह
from
عَنِ
उन लोगों से
those who
ٱلَّذِينَ
उन लोगों से
(do) not
لَمْ
नहीं
fight you
يُقَٰتِلُوكُمْ
उन्होंने जंग की तुमसे
in
فِى
दीन के मामले में
the religion
ٱلدِّينِ
दीन के मामले में
and (do) not
وَلَمْ
और नहीं
drive you out
يُخْرِجُوكُم
उन्होंने निकाला तुम्हें
of
مِّن
तुम्हारे घरों से
your homes
دِيَٰرِكُمْ
तुम्हारे घरों से
that
أَن
कि
you deal kindly
تَبَرُّوهُمْ
तुम नेकी करो उनसे
and deal justly
وَتُقْسِطُوٓا۟
और तुम इन्साफ़ करो
with them
إِلَيْهِمْۚ
उनसे
Indeed
إِنَّ
बेशक
Allah
ٱللَّهَ
अल्लाह
loves
يُحِبُّ
वो पसंद करता है
those who act justly
ٱلْمُقْسِطِينَ
इन्साफ़ करने वालों को

La yanhakumu Allahu 'ani allatheena lam yuqatilookum fee alddeeni walam yukhrijookum min diyarikum an tabarroohum watuqsitoo ilayhim inna Allaha yuhibbu almuqsiteena (al-Mumtaḥanah 60:8)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

अल्लाह तुम्हें इससे नहीं रोकता कि तुम उन लोगों के साथ अच्छा व्यवहार करो और उनके साथ न्याय करो, जिन्होंने तुमसे धर्म के मामले में युद्ध नहीं किया और न तुम्हें तुम्हारे अपने घरों से निकाला। निस्संदेह अल्लाह न्याय करनेवालों को पसन्द करता है

English Sahih:

Allah does not forbid you from those who do not fight you because of religion and do not expel you from your homes – from being righteous toward them and acting justly toward them. Indeed, Allah loves those who act justly. ([60] Al-Mumtahanah : 8)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

जो लोग तुमसे तुम्हारे दीन के बारे में नहीं लड़े भिड़े और न तुम्हें घरों से निकाले उन लोगों के साथ एहसान करने और उनके साथ इन्साफ़ से पेश आने से ख़ुदा तुम्हें मना नहीं करता बेशक ख़ुदा इन्साफ़ करने वालों को दोस्त रखता है