رَبَّنَا لَا تَجْعَلْنَا فِتْنَةً لِّلَّذِيْنَ كَفَرُوْا وَاغْفِرْ لَنَا رَبَّنَاۚ اِنَّكَ اَنْتَ الْعَزِيْزُ الْحَكِيْمُ ( الممتحنة: ٥ )
Our Lord
رَبَّنَا
ऐ हमारे रब
(do) not
لَا
ना तू बना हमें
make us
تَجْعَلْنَا
ना तू बना हमें
a trial
فِتْنَةً
फ़ितना / आज़माइश
for those who
لِّلَّذِينَ
उनके लिए जिन्होंने
disbelieve
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
and forgive
وَٱغْفِرْ
और बख़्शदे
us
لَنَا
हमें
our Lord
رَبَّنَآۖ
ऐ हमारे रब
Indeed You
إِنَّكَ
बेशक तू
[You]
أَنتَ
तू ही है
(are) the All-Mighty
ٱلْعَزِيزُ
बहुत ज़बरदस्त
the All-Wise"
ٱلْحَكِيمُ
ख़ूब हिकमत वाला
Rabbana la taj'alna fitnatan lillatheena kafaroo waighfir lana rabbana innaka anta al'azeezu alhakeemu (al-Mumtaḥanah 60:5)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
'ऐ हमारे रब! हमें इनकार करनेवालों के लिए फ़ितना न बना और ऐ हमारे रब! हमें क्षमा कर दे। निश्चय ही तू प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है।'
English Sahih:
Our Lord, make us not [objects of] torment for the disbelievers and forgive us, our Lord. Indeed, it is You who is the Exalted in Might, the Wise." ([60] Al-Mumtahanah : 5)