اِنْ يَّثْقَفُوْكُمْ يَكُوْنُوْا لَكُمْ اَعْدَاۤءً وَّيَبْسُطُوْٓا اِلَيْكُمْ اَيْدِيَهُمْ وَاَلْسِنَتَهُمْ بِالسُّوْۤءِ وَوَدُّوْا لَوْ تَكْفُرُوْنَۗ ( الممتحنة: ٢ )
If
إِن
अगर
they gain dominance over you
يَثْقَفُوكُمْ
वो पा लें तुम्हें
they would be
يَكُونُوا۟
होंगे वो
to you
لَكُمْ
तुम्हारे
enemies
أَعْدَآءً
दुश्मन
and extend
وَيَبْسُطُوٓا۟
और वो दराज़ करेंगे
against you
إِلَيْكُمْ
तरफ़ तुम्हारे
their hands
أَيْدِيَهُمْ
हाथ अपने
and their tongues
وَأَلْسِنَتَهُم
और ज़बानें अपनी
with evil
بِٱلسُّوٓءِ
साथ बुराई के
and they desire
وَوَدُّوا۟
और वो चाहेंगे
that
لَوْ
काश
you would disbelieve
تَكْفُرُونَ
तुम कुफ़्र करो
In yathqafookum yakoonoo lakam a'daan wayabsutoo ilaykum aydiyahum waalsinatahum bialssooi wawaddoo law takfuroona (al-Mumtaḥanah 60:2)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
यदि वे तुम्हें पा जाएँ तो तुम्हारे शत्रु हो जाएँ और कष्ट पहुँचाने के लिए तुमपर हाथ और ज़बान चलाएँ। वे तो चाहते है कि काश! तुम भी इनकार करनेवाले हो जाओ
English Sahih:
If they gain dominance over you, they would be [i.e., behave] to you as enemies and extend against you their hands and their tongues with evil, and they wish you would disbelieve. ([60] Al-Mumtahanah : 2)