وَلَقَدْ جِئْتُمُوْنَا فُرَادٰى كَمَا خَلَقْنٰكُمْ اَوَّلَ مَرَّةٍ وَّتَرَكْتُمْ مَّا خَوَّلْنٰكُمْ وَرَاۤءَ ظُهُوْرِكُمْۚ وَمَا نَرٰى مَعَكُمْ شُفَعَاۤءَكُمُ الَّذِيْنَ زَعَمْتُمْ اَنَّهُمْ فِيْكُمْ شُرَكٰۤؤُا ۗ لَقَدْ تَّقَطَّعَ بَيْنَكُمْ وَضَلَّ عَنْكُمْ مَّا كُنْتُمْ تَزْعُمُوْنَ ࣖ ( الأنعام: ٩٤ )
Walaqad jitumoona furada kama khalaqnakum awwala marratin wataraktum ma khawwalnakum waraa thuhoorikum wama nara ma'akum shufa'aakumu allatheena za'amtum annahum feekum shurakao laqad taqatta'a baynakum wadalla 'ankum ma kuntum taz'umoona (al-ʾAnʿām 6:94)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और निश्चय ही तुम उसी प्रकार एक-एक करके हमारे पास आ गए, जिस प्रकार हमने तुम्हें पहली बार पैदा किया था। और जो कुछ हमने तुम्हें दे रखा था, उसे अपने पीछे छोड़ आए और हम तुम्हारे साथ तुम्हारे उन सिफ़ारिशियों को भी नहीं देख रहे हैं, जिनके विषय में तुम दावे से कहते थे, 'वे तुम्हारे मामले में शरीक है।' तुम्हारे पारस्परिक सम्बन्ध टूट चुके है और वे सब तुमसे गुम होकर रह गए, जो दावे तुम किया करते थे
English Sahih:
[It will be said to them], "And you have certainly come to Us alone [i.e., individually] as We created you the first time, and you have left whatever We bestowed upon you behind you. And We do not see with you your 'intercessors' which you claimed that they were among you associates [of Allah]. It has [all] been severed between you, and lost from you is what you used to claim." ([6] Al-An'am : 94)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और आख़िर तुम हमारे पास इसी तरह तन्हा आए (ना) जिस तरह हमने तुम को पहली बार पैदा किया था और जो (माल व औलाद) हमने तुमको दिया था वह सब अपने पस्त पुश्त (पीछे) छोड़ आए और तुम्हारे साथ तुम्हारे उन सिफारिश करने वालों को भी नहीं देखते जिन को तुम ख्याल करते थे कि वह तुम्हारी (परवरिश वगैरह) मै (हमारे) साझेदार है अब तो तुम्हारे बाहरी ताल्लुक़ात मनक़तआ (ख़त्म) हो गए और जो कुछ ख्याल करते थे वह सब तुम से ग़ायब हो गए