وَحَاۤجَّهٗ قَوْمُهٗ ۗقَالَ اَتُحَاۤجُّوْۤنِّيْ فِى اللّٰهِ وَقَدْ هَدٰىنِۗ وَلَآ اَخَافُ مَا تُشْرِكُوْنَ بِهٖٓ اِلَّآ اَنْ يَّشَاۤءَ رَبِّيْ شَيْـًٔا ۗوَسِعَ رَبِّيْ كُلَّ شَيْءٍ عِلْمًا ۗ اَفَلَا تَتَذَكَّرُوْنَ ( الأنعام: ٨٠ )
Wahajjahu qawmuhu qala atuhajjoonnee fee Allahi waqad hadani wala akhafu ma tushrikoona bihi illa an yashaa rabbee shayan wasi'a rabbee kulla shayin 'ilman afala tatathakkaroona (al-ʾAnʿām 6:80)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
उसकी क़ौम के लोग उससे झगड़ने लगे। उसने कहा, 'क्या तुम मुझसे अल्लाह के विषय में झगड़ते हो? जबकि उसने मुझे मार्ग दिखा दिया है। मैं उनसे नहीं डरता, जिन्हें तुम उसका सहभागी ठहराते हो, बल्कि मेरा रब जो कुछ चाहता है वही पूरा होकर रहता है। प्रत्येक वस्तु मेरे रब की ज्ञान-परिधि के भीतर है। फिर क्या तुम चेतोगे नहीं?
English Sahih:
And his people argued with him. He said, "Do you argue with me concerning Allah while He has guided me? And I fear not what you associate with Him [and will not be harmed] unless my Lord should will something. My Lord encompasses all things in knowledge; then will you not remember? ([6] Al-An'am : 80)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और उनकी क़ौम के लोग उनसे हुज्जत करने लगे तो इबराहीम ने कहा था क्या तुम मुझसे ख़ुदा के बारे में हुज्जत करते हो हालॉकि वह यक़ीनी मेरी हिदायत कर चुका और तुम मे जिन बुतों को उसका शरीक मानते हो मै उनसे डरता (वरता) नहीं (वह मेरा कुछ नहीं कर सकते) मगर हॉ मेरा ख़ुदा खुद (करना) चाहे तो अलबत्ता कर सकता है मेरा परवरदिगार तो बाएतबार इल्म के सब पर हावी है तो क्या उस पर भी तुम नसीहत नहीं मानते