اِنِّيْ وَجَّهْتُ وَجْهِيَ لِلَّذِيْ فَطَرَ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ حَنِيْفًا وَّمَآ اَنَا۠ مِنَ الْمُشْرِكِيْنَۚ ( الأنعام: ٧٩ )
Indeed I
إِنِّى
बेशक मैं
[I] have turned
وَجَّهْتُ
रुख़ कर लिया मैंने
my face
وَجْهِىَ
अपने चेहरे का
to the One Who
لِلَّذِى
उसके लिए जिसने
created
فَطَرَ
पैदा किया
the heavens
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों
and the earth
وَٱلْأَرْضَ
और ज़मीन को
(as) a true monotheist
حَنِيفًاۖ
यकसू होकर
and not
وَمَآ
और नहीं
I (am)
أَنَا۠
मैं
of
مِنَ
मुशरिकीन में से
the polytheists
ٱلْمُشْرِكِينَ
मुशरिकीन में से
Innee wajjahtu wajhiya lillathee fatara alssamawati waalarda haneefan wama ana mina almushrikeena (al-ʾAnʿām 6:79)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
'मैंने तो एकाग्र होकर अपना मुख उसकी ओर कर लिया है, जिसने आकाशों और धरती को पैदा किया। और मैं साझी ठहरानेवालों में से नहीं।'
English Sahih:
Indeed, I have turned my face [i.e., self] toward He who created the heavens and the earth, inclining toward truth, and I am not of those who associate others with Allah." ([6] Al-An'am : 79)