۞ وَاِذْ قَالَ اِبْرٰهِيْمُ لِاَبِيْهِ اٰزَرَ اَتَتَّخِذُ اَصْنَامًا اٰلِهَةً ۚاِنِّيْٓ اَرٰىكَ وَقَوْمَكَ فِيْ ضَلٰلٍ مُّبِيْنٍ ( الأنعام: ٧٤ )
And when
وَإِذْ
और जब
said
قَالَ
कहा
Ibrahim
إِبْرَٰهِيمُ
इब्राहीम ने
to his father
لِأَبِيهِ
अपने बाप
Aazar
ءَازَرَ
आज़र को
"Do you take
أَتَتَّخِذُ
क्या तू बनाता है
idols
أَصْنَامًا
बुतों को
(as) gods?
ءَالِهَةًۖ
इलाह
Indeed I
إِنِّىٓ
बेशक मैं
[I] see you
أَرَىٰكَ
मैं देखता हूँ तुझे
and your people
وَقَوْمَكَ
और तेरी क़ौम को
in
فِى
गुमराही में
error
ضَلَٰلٍ
गुमराही में
manifest"
مُّبِينٍ
खुली
Waith qala ibraheemu liabeehi azara atattakhithu asnaman alihatan innee araka waqawmaka fee dalalin mubeenin (al-ʾAnʿām 6:74)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और याद करो, जब इबराहीम ने अपने बाप आज़र से कहा था, 'क्या तुम मूर्तियों को पूज्य बनाते हो? मैं तो तुम्हें और तुम्हारी क़ौम को खुली गुमराही में पड़ा देख रहा हूँ।'
English Sahih:
And [mention, O Muhammad], when Abraham said to his father Azar, "Do you take idols as deities? Indeed, I see you and your people to be in manifest error." ([6] Al-An'am : 74)