قُلْ اَنَدْعُوْا مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ مَا لَا يَنْفَعُنَا وَلَا يَضُرُّنَا وَنُرَدُّ عَلٰٓى اَعْقَابِنَا بَعْدَ اِذْ هَدٰىنَا اللّٰهُ كَالَّذِى اسْتَهْوَتْهُ الشَّيٰطِيْنُ فِى الْاَرْضِ حَيْرَانَ لَهٗٓ اَصْحٰبٌ يَّدْعُوْنَهٗٓ اِلَى الْهُدَى ائْتِنَا ۗ قُلْ اِنَّ هُدَى اللّٰهِ هُوَ الْهُدٰىۗ وَاُمِرْنَا لِنُسْلِمَ لِرَبِّ الْعٰلَمِيْنَۙ ( الأنعام: ٧١ )
Qul anad'oo min dooni Allahi ma la yanfa'una wala yadurruna wanuraddu 'ala a'qabina ba'da ith hadana Allahu kaallathee istahwathu alshshayateenu fee alardi hayrana lahu ashabun yad'oonahu ila alhuda itina qul inna huda Allahi huwa alhuda waomirna linuslima lirabbi al'alameena (al-ʾAnʿām 6:71)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
कहो, 'क्या हम अल्लाह को छोड़कर उसे पुकारने लग जाएँ जो न तो हमें लाभ पहुँचा सके और न हमें हानि पहुँचा सके और हम उलटे पाँव फिर जाएँ, जबकि अल्लाह ने हमें मार्ग पर लगा दिया है? - उस व्यक्ति की तरह जिसे शैतानों ने धरती पर भटका दिया हो और वह हैरान होकर रह गया हो। उसके कुछ साथी हो, जो उसे मार्ग की ओर बुला रहे हो कि हमारे पास चला आ!' कह दो, 'मार्गदर्शन केवल अल्लाह का मार्गदर्शन है और हमें इसी बात का आदेश हुआ है कि हम सारे संसार के स्वामी को समर्पित हो जाएँ।'
English Sahih:
Say, "Shall we invoke instead of Allah that which neither benefits us nor harms us and be turned back on our heels after Allah has guided us? [We would then be] like one whom the devils enticed [to wander] upon the earth confused, [while] he has companions inviting him to guidance, [calling], 'Come to us.'" Say, "Indeed, the guidance of Allah is the [only] guidance; and we have been commanded to submit to the Lord of the worlds. ([6] Al-An'am : 71)