قُلْ اِنِّيْ عَلٰى بَيِّنَةٍ مِّنْ رَّبِّيْ وَكَذَّبْتُمْ بِهٖۗ مَا عِنْدِيْ مَا تَسْتَعْجِلُوْنَ بِهٖۗ اِنِ الْحُكْمُ اِلَّا لِلّٰهِ ۗيَقُصُّ الْحَقَّ وَهُوَ خَيْرُ الْفَاصِلِيْنَ ( الأنعام: ٥٧ )
Qul innee 'ala bayyinatin min rabbee wakaththabtum bihi ma 'indee ma tasta'jiloona bihi ini alhukmu illa lillahi yaqussu alhaqqa wahuwa khayru alfasileena (al-ʾAnʿām 6:57)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
कह दो, 'मैं अपने रब की ओर से एक स्पष्ट प्रमाण पर क़ायम हूँ और तुमने उसे झुठला दिया है। जिस चीज़ के लिए तुम जल्दी मचा रहे हो, वह कोई मेरे पास तो नहीं है। निर्णय का सारा अधिकार अल्लाह ही को है, वही सच्ची बात बयान करता है और वही सबसे अच्छा निर्णायक है।'
English Sahih:
Say, "Indeed, I am on clear evidence from my Lord, and you have denied it. I do not have that for which you are impatient. The decision is only for Allah. He relates the truth, and He is the best of deciders." ([6] Al-An'am : 57)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
तुम कह दो कि मै तो अपने परवरदिगार की तरफ से एक रौशन दलील पर हूं और तुमने उसे झुठला दिया (तो) तुम जिस की जल्दी करते हो (अज़ाब) वह कुछ मेरे पास (एख्तियार में) तो है नहीं हुकूमत तो बस ज़रुर ख़ुदा ही के लिए है वह तो (हक़) बयान करता है और वह तमाम फैसला करने वालों से बेहतर है