وَاِذَا جَاۤءَكَ الَّذِيْنَ يُؤْمِنُوْنَ بِاٰيٰتِنَا فَقُلْ سَلٰمٌ عَلَيْكُمْ كَتَبَ رَبُّكُمْ عَلٰى نَفْسِهِ الرَّحْمَةَۙ اَنَّهٗ مَنْ عَمِلَ مِنْكُمْ سُوْۤءًاۢ بِجَهَالَةٍ ثُمَّ تَابَ مِنْۢ بَعْدِهٖ وَاَصْلَحَ فَاَنَّهٗ غَفُوْرٌ رَّحِيْمٌ ( الأنعام: ٥٤ )
Waitha jaaka allatheena yuminoona biayatina faqul salamun 'alaykum kataba rabbukum 'ala nafsihi alrrahmata annahu man 'amila minkum sooan bijahalatin thumma taba min ba'dihi waaslaha faannahu ghafoorun raheemun (al-ʾAnʿām 6:54)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और जब तुम्हारे पास वे लोग आएँ, जो हमारी आयतों को मानते है, तो कहो, 'सलाम हो तुमपर! तुम्हारे रब ने दयालुता को अपने ऊपर अनिवार्य कर लिया है कि तुममें से जो कोई नासमझी से कोई बुराई कर बैठे, फिर उसके बाद पलट आए और अपना सुधार कर तो यह है वह बड़ा क्षमाशील, दयावान है।'
English Sahih:
And when those come to you who believe in Our verses, say, "Peace be upon you. Your Lord has decreed upon Himself mercy: that any of you who does wrong out of ignorance and then repents after that and corrects himself – indeed, He is Forgiving and Merciful." ([6] Al-An'am : 54)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और जो लोग हमारी आयतों पर ईमान लाए हैं तुम्हारे पास ऑंए तो तुम सलामुन अलैकुम (तुम पर ख़ुदा की सलामती हो) कहो तुम्हारे परवरदिगार ने अपने ऊपर रहमत लाज़िम कर ली है बेशक तुम में से जो शख़्श नादानी से कोई गुनाह कर बैठे उसके बाद फिर तौबा करे और अपनी हालत की (असलाह करे ख़ुदा उसका गुनाह बख्श देगा क्योंकि) वह यक़ीनी बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है