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قُلْ اَرَاَيْتَكُمْ اِنْ اَتٰىكُمْ عَذَابُ اللّٰهِ بَغْتَةً اَوْ جَهْرَةً هَلْ يُهْلَكُ اِلَّا الْقَوْمُ الظّٰلِمُوْنَ   ( الأنعام: ٤٧ )

Say
قُلْ
कह दीजिए
"Have you seen
أَرَءَيْتَكُمْ
क्या ग़ौर किया तुमने
if
إِنْ
अगर
comes to you
أَتَىٰكُمْ
आए तुम्हारे पास
punishment
عَذَابُ
अज़ाब
(of) Allah
ٱللَّهِ
अल्लाह का
suddenly
بَغْتَةً
अचानक
or
أَوْ
या
openly
جَهْرَةً
ऐलानिया
will
هَلْ
नहीं
(any) be destroyed
يُهْلَكُ
हलाक किए जाऐंगे
except
إِلَّا
मगर
the people -
ٱلْقَوْمُ
लोग
the wrongdoers?
ٱلظَّٰلِمُونَ
जो ज़ालिम हैं

Qul araaytakum in atakum 'athabu Allahi baghtatan aw jahratan hal yuhlaku illa alqawmu alththalimoona (al-ʾAnʿām 6:47)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

कहो, 'क्या तुमने यह भी सोचा कि यदि तुमपर अचानक या प्रत्यक्षतः अल्लाह की यातना आ जाए, तो क्या अत्याचारी लोगों के सिवा कोई और विनष्ट होगा?'

English Sahih:

Say, "Have you considered: if the punishment of Allah should come to you unexpectedly or manifestly, will any be destroyed but the wrongdoing people?" ([6] Al-An'am : 47)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

(ऐ रसूल) उनसे पूछो कि क्या तुम ये समझते हो कि अगर तुम्हारे सर पर ख़ुदा का अज़ाब बेख़बरी में या जानकारी में आ जाए तो क्या गुनाहगारों के सिवा और लोग भी हलाक़ किए जाएंगें (हरगिज़ नहीं)