وَلَقَدْ كُذِّبَتْ رُسُلٌ مِّنْ قَبْلِكَ فَصَبَرُوْا عَلٰى مَا كُذِّبُوْا وَاُوْذُوْا حَتّٰٓى اَتٰىهُمْ نَصْرُنَا ۚوَلَا مُبَدِّلَ لِكَلِمٰتِ اللّٰهِ ۚوَلَقَدْ جَاۤءَكَ مِنْ نَّبَإِ۟ى الْمُرْسَلِيْنَ ( الأنعام: ٣٤ )
Walaqad kuththibat rusulun min qablika fasabaroo 'ala ma kuththiboo waoothoo hatta atahum nasruna wala mubaddila likalimati Allahi walaqad jaaka min nabai almursaleena (al-ʾAnʿām 6:34)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
तुमसे पहले भी बहुत-से रसूल झुठलाए जा चुके है, तो वे अपने झुठलाए जाने और कष्ट पहुँचाए जाने पर धैर्य से काम लेते रहे, यहाँ तक कि उन्हें हमारी सहायता पहुँच गई। कोई नहीं जो अल्लाह की बातों को बदल सके। तुम्हारे पास तो रसूलों की कुछ ख़बरें पहुँच ही चुकी है
English Sahih:
And certainly were messengers denied before you, but they were patient over the denial, and they were harmed until Our victory came to them. And none can alter the words [i.e., decrees] of Allah. And there has certainly come to you some information about the [previous] messengers. ([6] Al-An'am : 34)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और (कुछ तुम ही पर नहीं) तुमसे पहले भी बहुतेरे रसूल झुठलाए जा चुके हैं तो उन्होनें अपने झुठलाए जाने और अज़ीयत (व तकलीफ) पर सब्र किया यहाँ तक कि हमारी मदद उनके पास आयी और (क्यों न आती) ख़ुदा की बातों का कोई बदलने वाला नहीं है और पैग़म्बर के हालात तो तुम्हारे पास पहुँच ही चुके हैं