وَمَا الْحَيٰوةُ الدُّنْيَآ اِلَّا لَعِبٌ وَّلَهْوٌ ۗوَلَلدَّارُ الْاٰخِرَةُ خَيْرٌ لِّلَّذِيْنَ يَتَّقُوْنَۗ اَفَلَا تَعْقِلُوْنَ ( الأنعام: ٣٢ )
And not
وَمَا
और नहीं
(is) the life
ٱلْحَيَوٰةُ
ज़िन्दगी
(of) the world
ٱلدُّنْيَآ
दुनिया की
except
إِلَّا
मगर
a play
لَعِبٌ
खेल
and amusement
وَلَهْوٌۖ
और तमाशा
but the home
وَلَلدَّارُ
और अलबत्ता घर
(of) the Hereafter
ٱلْءَاخِرَةُ
आख़िरत का
(is) best
خَيْرٌ
बेहतर है
for those who
لِّلَّذِينَ
उनके लिए जो
(are) God conscious
يَتَّقُونَۗ
तक़वा करते हैं
Then not?
أَفَلَا
क्या भला नहीं
(will) you reason?
تَعْقِلُونَ
तुम अक़्ल से काम लेते
Wama alhayatu alddunya illa la'ibun walahwun walalddaru alakhirati khayrun lillatheena yattaqoona afala ta'qiloona (al-ʾAnʿām 6:32)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
सांसारिक जीवन तो एक खेल और तमाशे (ग़फलत) के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है जबकि आख़िरत का घर उन लोगों के लिए अच्छा है, जो डर रखते है। तो क्या तुम बुद्धि से काम नहीं लेते?
English Sahih:
And the worldly life is not but amusement and diversion; but the home of the Hereafter is best for those who fear Allah, so will you not reason? ([6] Al-An'am : 32)