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قَدْ خَسِرَ الَّذِيْنَ كَذَّبُوْا بِلِقَاۤءِ اللّٰهِ ۗحَتّٰٓى اِذَا جَاۤءَتْهُمُ السَّاعَةُ بَغْتَةً قَالُوْا يٰحَسْرَتَنَا عَلٰى مَا فَرَّطْنَا فِيْهَاۙ وَهُمْ يَحْمِلُوْنَ اَوْزَارَهُمْ عَلٰى ظُهُوْرِهِمْۗ اَلَا سَاۤءَ مَا يَزِرُوْنَ   ( الأنعام: ٣١ )

Indeed
قَدْ
तहक़ीक़
incurred loss
خَسِرَ
ख़सारे में रहे
those who
ٱلَّذِينَ
वो जिन्होंने
denied
كَذَّبُوا۟
झुठलाया
in (the) meeting
بِلِقَآءِ
मुलाक़ात को
(with) Allah
ٱللَّهِۖ
अल्लाह कि
until
حَتَّىٰٓ
यहाँ तक कि
when
إِذَا
जब
came to them
جَآءَتْهُمُ
आ जाएगी उनके पास
the Hour
ٱلسَّاعَةُ
घड़ी (क़यामत की)
suddenly
بَغْتَةً
अचानक
they said
قَالُوا۟
वो कहेंगे
"Oh! Our regret
يَٰحَسْرَتَنَا
हाय अफ़सोस हमारा
over
عَلَىٰ
उस पर
what
مَا
जो
we neglected
فَرَّطْنَا
कमी-कोताही की हमने
concerning it"
فِيهَا
उस के बारे में
while they
وَهُمْ
और वो
will bear
يَحْمِلُونَ
वो उठाऐंगे
their burdens
أَوْزَارَهُمْ
बोझ अपने
on
عَلَىٰ
अपनी पुश्तों पर
their backs
ظُهُورِهِمْۚ
अपनी पुश्तों पर
Unquestionably!
أَلَا
ख़बरदार
Evil
سَآءَ
कितना बुरा है
(is) what
مَا
जो
they bear
يَزِرُونَ
बोझ वो उठाऐंगे

Qad khasira allatheena kaththaboo biliqai Allahi hatta itha jaathumu alssa'atu baghtatan qaloo ya hasratana 'ala ma farratna feeha wahum yahmiloona awzarahum 'ala thuhoorihim ala saa ma yaziroona (al-ʾAnʿām 6:31)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

वे लोग घाटे में पड़े, जिन्होंने अल्लाह से मिलने को झुठलाया, यहाँ तक कि जब अचानक उनपर वह घड़ी आ जाएगी तो वे कहेंगे, 'हाय! अफ़सोस, उस कोताही पर जो इसके विषय में हमसे हुई।' और हाल यह होगा कि वे अपने बोझ अपनी पीठों पर उठाए होंगे। देखो, कितना बुरा बोझ है जो ये उठाए हुए है!

English Sahih:

Those will have lost who deny the meeting with Allah, until when the Hour [of resurrection] comes upon them unexpectedly, they will say, "Oh, [how great is] our regret over what we neglected concerning it [i.e., the Hour]," while they bear their burdens [i.e., sins] on their backs. Unquestionably, evil is that which they bear. ([6] Al-An'am : 31)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

उसकी सज़ा में अज़ाब (के मजे) चखो बेशक जिन लोगों ने क़यामत के दिन ख़ुदा की हुज़ूरी को झुठलाया वह बड़े घाटे में हैं यहाँ तक कि जब उनके सर पर क़यामत नागहा (एक दम आ) पहँचेगी तो कहने लगेगें ऐ है अफसोस हम ने तो इसमें बड़ी कोताही की (ये कहते जाएगे) और अपने गुनाहों का पुश्तारा अपनी अपनी पीठ पर लादते जाएंगे देखो तो (ये) क्या बुरा बोझ है जिसको ये लादे (लादे फिर रहे) हैं