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وَمَنْ اَظْلَمُ مِمَّنِ افْتَرٰى عَلَى اللّٰهِ كَذِبًا اَوْ كَذَّبَ بِاٰيٰتِهٖۗ اِنَّهٗ لَا يُفْلِحُ الظّٰلِمُوْنَ  ( الأنعام: ٢١ )

And who
وَمَنْ
और कौन
(is) more unjust
أَظْلَمُ
बड़ा ज़ालिम है
than (he) who
مِمَّنِ
उससे जो
invents
ٱفْتَرَىٰ
गढ़ ले
against
عَلَى
अल्लाह पर
Allah
ٱللَّهِ
अल्लाह पर
a lie
كَذِبًا
झूठ
or
أَوْ
या
rejects
كَذَّبَ
झुठलाए
His Signs?
بِـَٔايَٰتِهِۦٓۗ
उसकी आयात को
Indeed
إِنَّهُۥ
बेशक वो
not
لَا
नहीं वो फ़लाह पाऐंगे
will be successful
يُفْلِحُ
नहीं वो फ़लाह पाऐंगे
the wrongdoers
ٱلظَّٰلِمُونَ
जो ज़ालिम हैं

Waman athlamu mimmani iftara 'ala Allahi kathiban aw kaththaba biayatihi innahu la yuflihu alththalimoona (al-ʾAnʿām 6:21)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

और उससे बढ़कर अत्याचारी कौन होगा, जो अल्लाह पर झूठ गढ़े या उसकी आयतों को झुठलाए। निस्सन्देह अत्याचारी कभी सफल नहीं हो सकते

English Sahih:

And who is more unjust than one who invents about Allah a lie or denies His verses? Indeed, the wrongdoers will not succeed. ([6] Al-An'am : 21)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और जो शख़्श ख़ुदा पर झूठ बोहतान बॉधे या उसकी आयतों को झुठलाए उससे बढ़के ज़ालिम कौन होगा और ज़ालिमों को हरगिज़ नजात न होगी