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اَلَّذِيْنَ اٰتَيْنٰهُمُ الْكِتٰبَ يَعْرِفُوْنَهٗ كَمَا يَعْرِفُوْنَ اَبْنَاۤءَهُمْۘ اَلَّذِيْنَ خَسِرُوْٓا اَنْفُسَهُمْ فَهُمْ لَا يُؤْمِنُوْنَ ࣖ  ( الأنعام: ٢٠ )

Those (to) whom
ٱلَّذِينَ
वो लोग जो
We have given them
ءَاتَيْنَٰهُمُ
दी हमने उन्हें
the Book
ٱلْكِتَٰبَ
किताब
they recognize him
يَعْرِفُونَهُۥ
वो पहचानते हैं उसे
as
كَمَا
जैसा कि
they recognize
يَعْرِفُونَ
वो पहचानते हैं
their sons
أَبْنَآءَهُمُۘ
अपने बेटों को
Those who
ٱلَّذِينَ
वो जिन्होंने
lost
خَسِرُوٓا۟
ख़सारे में डाला
themselves
أَنفُسَهُمْ
अपने नफ़्सों को
then they
فَهُمْ
तो वो
(do) not
لَا
नहीं वो ईमान लाते
believe
يُؤْمِنُونَ
नहीं वो ईमान लाते

Allatheena ataynahumu alkitaba ya'rifoonahu kama ya'rifoona abnaahum allatheena khasiroo anfusahum fahum la yuminoona (al-ʾAnʿām 6:20)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

जिन लोगों को हमने किताब दी है, वे उसे इस प्रकार पहचानते है, जिस प्रकार अपने बेटों को पहचानते है। जिन लोगों ने अपने आपको घाटे में डाला है, वही ईमान नहीं लाते

English Sahih:

Those to whom We have given the Scripture recognize it as they recognize their [own] sons. Those who will lose themselves [in the Hereafter] do not believe. ([6] Al-An'am : 20)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

मै तो उनसे बेज़र हूँ जिन लोगों को हमने किताब अता फरमाई है (यहूद व नसारा) वह तो जिस तरह अपने बाल बच्चों को पहचानते है उसी तरह उस नबी (मोहम्मद) को भी पहचानते हैं (मगर) जिन लोगों ने अपना आप नुक़सान किया वह तो (किसी तरह) ईमान न लाएंगें