اَوْ تَقُوْلُوْا لَوْ اَنَّآ اُنْزِلَ عَلَيْنَا الْكِتٰبُ لَكُنَّآ اَهْدٰى مِنْهُمْۚ فَقَدْ جَاۤءَكُمْ بَيِّنَةٌ مِّنْ رَّبِّكُمْ وَهُدًى وَّرَحْمَةٌ ۚفَمَنْ اَظْلَمُ مِمَّنْ كَذَّبَ بِاٰيٰتِ اللّٰهِ وَصَدَفَ عَنْهَا ۗسَنَجْزِى الَّذِيْنَ يَصْدِفُوْنَ عَنْ اٰيٰتِنَا سُوْۤءَ الْعَذَابِ بِمَا كَانُوْا يَصْدِفُوْنَ ( الأنعام: ١٥٧ )
Aw taqooloo law anna onzila 'alayna alkitabu lakunna ahda minhum faqad jaakum bayyinatun min rabbikum wahudan warahmatun faman athlamu mimman kaththaba biayati Allahi wasadafa 'anha sanajzee allatheena yasdifoona 'an ayatina sooa al'athabi bima kanoo yasdifoona (al-ʾAnʿām 6:157)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
या यह कहने लगो, 'यदि हमपर किताब उतारी गई होती तो हम उनसे बढकर सीधे मार्ग पर होते।' तो अब तुम्हारे पास रब की ओर से एक स्पष्ट प्रमाण, मार्गदर्शन और दयालुता आ चुकी है। अब उससे बढ़कर अत्याचारी कौन होगा जो अल्लाह की आयतों को झुठलाए और दूसरों को उनसे फेरे? जो लोग हमारी आयतों से रोकते हैं, उन्हें हम इस रोकने के कारण जल्द बुरी यातना देंगे
English Sahih:
Or lest you say, "If only the Scripture had been revealed to us, we would have been better guided than they." So there has [now] come to you a clear evidence from your Lord and a guidance and mercy. Then who is more unjust than one who denies the verses of Allah and turns away from them? We will recompense those who turn away from Our verses with the worst of punishment for their having turned away. ([6] Al-An'am : 157)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
या ये कहने लगो कि अगर हम पर किताबे (ख़ुदा नाज़िल होती तो हम उन लोगों से कहीं बढ़कर राहे रास्त पर होते तो (देखो) अब तो यक़ीनन तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से तुम्हारे पास एक रौशन दलील है (किताबे ख़ुदा) और हिदायत और रहमत आ चुकी तो जो शख्स ख़ुदा के आयात को झुठलाए और उससे मुँह फेरे उनसे बढ़ कर ज़ालिम कौन है जो लोग हमारी आयतों से मुँह फेरते हैं हम उनके मुँह फेरने के बदले में अनक़रीब ही बुरे अज़ाब की सज़ा देगें (ऐ रसूल) क्या ये लोग सिर्फ उसके मुन्तिज़र है कि उनके पास फरिश्ते आएं