ثُمَّ اٰتَيْنَا مُوْسَى الْكِتٰبَ تَمَامًا عَلَى الَّذِيْٓ اَحْسَنَ وَتَفْصِيْلًا لِّكُلِّ شَيْءٍ وَّهُدًى وَّرَحْمَةً لَّعَلَّهُمْ بِلِقَاۤءِ رَبِّهِمْ يُؤْمِنُوْنَ ࣖ ( الأنعام: ١٥٤ )
Thumma atayna moosa alkitaba tamaman 'ala allathee ahsana watafseelan likulli shayin wahudan warahmatan la'allahum biliqai rabbihim yuminoona (al-ʾAnʿām 6:154)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
फिर (देखो) हमने मूसा को किताब दी थी, (धर्म को) पूर्णता प्रदान करने के लिए, जिसे उसने उत्तम रीति से ग्रहण किया था; और हर चीज़ को स्पष्ट रूप से बयान करने, मार्गदर्शन देने और दया करने के लिए, ताकि वे लोग अपने रब से मिलने पर ईमान लाएँ
English Sahih:
Then We gave Moses the Scripture, making complete [Our favor] upon the one who did good [i.e., Moses] and as a detailed explanation of all things and as guidance and mercy that perhaps in the meeting with their Lord they would believe. ([6] Al-An'am : 154)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
फिर हमनें जो नेक़ी करें उस पर अपनी नेअमत पूरी करने के वास्ते मूसा को क़िताब (तौरौत) अता फरमाई और उसमें हर चीज़ की तफ़सील (बयान कर दी ) थी और (लोगों के लिए अज़सरतापा(सर से पैर तक)) हिदायत व रहमत है ताकि वह लोग अपनें परवरदिगार के सामने हाज़िर होने का यक़ीन करें