سَيَقُوْلُ الَّذِيْنَ اَشْرَكُوْا لَوْ شَاۤءَ اللّٰهُ مَآ اَشْرَكْنَا وَلَآ اٰبَاۤؤُنَا وَلَا حَرَّمْنَا مِنْ شَيْءٍۗ كَذٰلِكَ كَذَّبَ الَّذِيْنَ مِنْ قَبْلِهِمْ حَتّٰى ذَاقُوْا بَأْسَنَاۗ قُلْ هَلْ عِنْدَكُمْ مِّنْ عِلْمٍ فَتُخْرِجُوْهُ لَنَاۗ اِنْ تَتَّبِعُوْنَ اِلَّا الظَّنَّ وَاِنْ اَنْتُمْ اِلَّا تَخْرُصُوْنَ ( الأنعام: ١٤٨ )
Sayaqoolu allatheena ashrakoo law shaa Allahu ma ashrakna wala abaona wala harramna min shayin kathalika kaththaba allatheena min qablihim hatta thaqoo basana qul hal 'indakum min 'ilmin fatukhrijoohu lana in tattabi'oona illa alththanna wain antum illa takhrusoona (al-ʾAnʿām 6:148)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
बहुदेववादी कहेंगे, 'यदि अल्लाह चाहता तो न हम साझीदार ठहराते और न हमारे पूर्वज ही; और न हम किसी चीज़ को (बिना अल्लाह के आदेश के) हराम ठहराते।' ऐसे ही उनसे पहले के लोगों ने भी झुठलाया था, यहाँ तक की उन्हें हमारी यातना का मज़ा चखना पड़ा। कहो, 'क्या तुम्हारे पास कोई ज्ञान है कि उसे हमारे पास पेश करो? तुम लोग केवल गुमान पर चलते हो और निरे अटकल से काम लेते हो।'
English Sahih:
Those who associated [others] with Allah will say, "If Allah had willed, we would not have associated [anything] and neither would our fathers, nor would we have prohibited anything." Likewise did those before deny until they tasted Our punishment. Say, "Do you have any knowledge that you can produce for us? You follow not except assumption, and you are not but misjudging." ([6] Al-An'am : 148)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
अनक़रीब मुशरेकीन कहेंगें कि अगर ख़ुदा चाहता तो न हम लोग शिर्क करते और न हमारे बाप दादा और न हम कोई चीज़ अपने ऊपर हराम करते उसी तरह (बातें बना बना के) जो लोग उनसे पहले हो गुज़रे हैं (पैग़म्बरों को) झुठलाते रहे यहाँ तक कि उन लोगों ने हमारे अज़ाब (के मज़े)े को चख़ा (ऐ रसूल) तुम कहो कि तुम्हारे पास कोई दलील है (अगर है) तो हमारे (दिखाने के) वास्ते उसको निकालो (दलील तो क्या) पेश करोगे तुम लोग तो सिर्फ अपने ख्याल ख़ाम की पैरवी करते हो और सिर्फ अटकल पच्चू बातें करते हो