فَاِنْ كَذَّبُوْكَ فَقُلْ رَّبُّكُمْ ذُوْ رَحْمَةٍ وَّاسِعَةٍۚ وَلَا يُرَدُّ بَأْسُهٗ عَنِ الْقَوْمِ الْمُجْرِمِيْنَ ( الأنعام: ١٤٧ )
But if
فَإِن
फिर अगर
they deny you
كَذَّبُوكَ
वो झुठलाऐं आपको
then say
فَقُل
तो कह दीजिए
"Your Lord
رَّبُّكُمْ
रब तुम्हारा
(is the) Possessor
ذُو
वसीअ रहमत वाला है
(of) Mercy
رَحْمَةٍ
वसीअ रहमत वाला है
Vast
وَٰسِعَةٍ
वसीअ रहमत वाला है
but not
وَلَا
और नहीं
will be turned back
يُرَدُّ
फेरा जा सकता
His wrath
بَأْسُهُۥ
अज़ाब उसका
from
عَنِ
उन लोगों से
the people
ٱلْقَوْمِ
उन लोगों से
(who are) criminals"
ٱلْمُجْرِمِينَ
जो मुजरिम हैं
Fain kaththabooka faqul rabbukum thoo rahmatin wasi'atin wala yuraddu basuhu 'ani alqawmi almujrimeena (al-ʾAnʿām 6:147)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
फिर यदि वे तुम्हें झुठलाएँ तो कह दो, 'तुम्हारा रब व्यापक दयालुतावाला है और अपराधियों से उसकी यातना नहीं फिरती।'
English Sahih:
So if they deny you, [O Muhammad], say, "Your Lord is the possessor of vast mercy; but His punishment cannot be repelled from the people who are criminals." ([6] Al-An'am : 147)