يٰمَعْشَرَ الْجِنِّ وَالْاِنْسِ اَلَمْ يَأْتِكُمْ رُسُلٌ مِّنْكُمْ يَقُصُّوْنَ عَلَيْكُمْ اٰيٰتِيْ وَيُنْذِرُوْنَكُمْ لِقَاۤءَ يَوْمِكُمْ هٰذَاۗ قَالُوْا شَهِدْنَا عَلٰٓى اَنْفُسِنَا وَغَرَّتْهُمُ الْحَيٰوةُ الدُّنْيَا وَشَهِدُوْا عَلٰٓى اَنْفُسِهِمْ اَنَّهُمْ كَانُوْا كٰفِرِيْنَ ( الأنعام: ١٣٠ )
Ya ma'shara aljinni waalinsi alam yatikum rusulun minkum yaqussoona 'alaykum ayatee wayunthiroonakum liqaa yawmikum hatha qaloo shahidna 'ala anfusina wagharrathumu alhayatu alddunya washahidoo 'ala anfusihim annahum kanoo kafireena (al-ʾAnʿām 6:130)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
'ऐ जिन्नों और मनुष्यों के गिरोह! क्या तुम्हारे पास तुम्हीं में से रसूल नहीं आए थे, जो तुम्हें मेरी आयतें सुनाते और इस दिन के पेश आने से तुम्हें डराते थे?' वे कहेंगे, 'क्यों नहीं! (रसूल तो आए थे) हम स्वयं अपने विरुद्ध गवाह है।' उन्हें तो सांसारिक जीवन ने धोखे में रखा। मगर अब वे स्वयं अपने विरुद्ध गवाही देने लगे कि वे इनकार करनेवाले थे
English Sahih:
"O company of jinn and mankind, did there not come to you messengers from among you, relating to you My verses and warning you of the meeting of this Day of yours?" They will say, "We bear witness against ourselves"; and the worldly life had deluded them, and they will bear witness against themselves that they were disbelievers. ([6] Al-An'am : 130)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
(फिर हम पूछेंगे कि क्यों) ऐ गिरोह जिन व इन्स क्या तुम्हारे पास तुम ही में के पैग़म्बर नहीं आए जो तुम तुमसे हमारी आयतें बयान करें और तुम्हें तुम्हारे उस रोज़ (क़यामत) के पेश आने से डराएँ वह सब अर्ज करेंगे (बेशक आए थे) हम ख़ुद अपने ऊपर आप अपने (ख़िलाफ) गवाही देते हैं (वाकई) उनको दुनिया की (चन्द रोज़) ज़िन्दगी ने उन्हें अंधेरे में डाल रखा और उन लोगों ने अपने ख़िलाफ आप गवाही दीं