۞ وَلَوْ اَنَّنَا نَزَّلْنَآ اِلَيْهِمُ الْمَلٰۤىِٕكَةَ وَكَلَّمَهُمُ الْمَوْتٰى وَحَشَرْنَا عَلَيْهِمْ كُلَّ شَيْءٍ قُبُلًا مَّا كَانُوْا لِيُؤْمِنُوْٓا اِلَّآ اَنْ يَّشَاۤءَ اللّٰهُ وَلٰكِنَّ اَكْثَرَهُمْ يَجْهَلُوْنَ ( الأنعام: ١١١ )
Walaw annana nazzalna ilayhimu almalaikata wakallamahumu almawta wahasharna 'alayhim kulla shayin qubulan ma kanoo liyuminoo illa an yashaa Allahu walakinna aktharahum yajhaloona (al-ʾAnʿām 6:111)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
यदि हम उनकी ओर फ़रिश्ते भी उतार देते और मुर्दें भी उनसे बातें करने लगते और प्रत्येक चीज़ उनके सामने लाकर इकट्ठा कर देते, तो भी वे ईमान न लाते, बल्कि अल्लाह ही का चाहा क्रियान्वित है। परन्तु उनमें से अधिकतर लोग अज्ञानता से काम लेते है
English Sahih:
And even if We had sent down to them the angels [with the message] and the dead spoke to them [of it] and We gathered together every [created] thing in front of them, they would not believe unless Allah should will. But most of them, [of that], are ignorant. ([6] Al-An'am : 111)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और (ऐ रसूल सच तो ये है कि) हम अगर उनके पास फरिश्ते भी नाज़िल करते और उनसे मुर्दे भी बातें करने लगते और तमाम (मख़फ़ी(छुपी)) चीज़ें (जैसे जन्नत व नार वग़ैरह) अगर वह गिरोह उनके सामने ला खड़े करते तो भी ये ईमान लाने वाले न थे मगर जब अल्लाह चाहे लेकिन उनमें के अक्सर नहीं जानते