Skip to main content

وَكَذٰلِكَ نُصَرِّفُ الْاٰيٰتِ وَلِيَقُوْلُوْا دَرَسْتَ وَلِنُبَيِّنَهٗ لِقَوْمٍ يَّعْلَمُوْنَ   ( الأنعام: ١٠٥ )

And thus
وَكَذَٰلِكَ
और इसी तरह
We explain
نُصَرِّفُ
हम फेर-फेर कर लाते हैं
the Signs
ٱلْءَايَٰتِ
आयात को
that they (may) say
وَلِيَقُولُوا۟
और ताकि वो कहें
"You have studied"
دَرَسْتَ
पढ़ लिया है तूने
and that We (may) make it clear
وَلِنُبَيِّنَهُۥ
और ताकि हम बयान करें उसे
for a people
لِقَوْمٍ
उन लोगों के लिए
who know
يَعْلَمُونَ
जो इल्म रखते हैं

Wakathalika nusarrifu alayati waliyaqooloo darasta walinubayyinahu liqawmin ya'lamoona (al-ʾAnʿām 6:105)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

और इसी प्रकार हम अपनी आयतें विभिन्न ढंग से बयान करते है (कि वे सुने) और इसलिए कि वे कह लें, '(ऐ मुहम्मद!) तुमनेकहीं से पढ़-पढ़ा लिया है।' और इसलिए भी कि हम उनके लिए जो जानना चाहें, सत्य को स्पष्ट कर दें

English Sahih:

And thus do We diversify the verses so they [i.e., the disbelievers] will say, "You have studied," and so We may make it [i.e., the Quran] clear for a people who know. ([6] Al-An'am : 105)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और हम (अपनी) आयतें यूं उलट फेरकर बयान करते है (ताकि हुज्जत तमाम हो) और ताकि वह लोग ज़बानी भी इक़रार कर लें कि तुमने (क़ुरान उनके सामने) पढ़ दिया और ताकि जो लोग जानते है उनके लिए (क़ुरान का) खूब वाजेए करके बयान कर दें