لَا تَجِدُ قَوْمًا يُّؤْمِنُوْنَ بِاللّٰهِ وَالْيَوْمِ الْاٰخِرِ يُوَاۤدُّوْنَ مَنْ حَاۤدَّ اللّٰهَ وَرَسُوْلَهٗ وَلَوْ كَانُوْٓا اٰبَاۤءَهُمْ اَوْ اَبْنَاۤءَهُمْ اَوْ اِخْوَانَهُمْ اَوْ عَشِيْرَتَهُمْۗ اُولٰۤىِٕكَ كَتَبَ فِيْ قُلُوْبِهِمُ الْاِيْمَانَ وَاَيَّدَهُمْ بِرُوْحٍ مِّنْهُ ۗوَيُدْخِلُهُمْ جَنّٰتٍ تَجْرِيْ مِنْ تَحْتِهَا الْاَنْهٰرُ خٰلِدِيْنَ فِيْهَاۗ رَضِيَ اللّٰهُ عَنْهُمْ وَرَضُوْا عَنْهُۗ اُولٰۤىِٕكَ حِزْبُ اللّٰهِ ۗ اَلَآ اِنَّ حِزْبَ اللّٰهِ هُمُ الْمُفْلِحُوْنَ ࣖ ( المجادلة: ٢٢ )
La tajidu qawman yuminoona biAllahi waalyawmi alakhiri yuwaddoona man hadda Allaha warasoolahu walaw kanoo abaahum aw abnaahum aw ikhwanahum aw 'asheeratahum olaika kataba fee quloobihimu aleemana waayyadahum biroohin minhu wayudkhiluhum jannatin tajree min tahtiha alanharu khalideena feeha radiya Allahu 'anhum waradoo 'anhu olaika hizbu Allahi ala inna hizba Allahi humu almuflihoona (al-Mujādilah 58:22)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
तुम उन लोगों को ऐसा कभी नहीं पाओगे जो अल्लाह और अन्तिम दि पर ईमान रखते है कि वे उन लोगों से प्रेम करते हो जिन्होंने अल्लाह और उसके रसूल का विरोध किया, यद्यपि वे उनके अपने बाप हों या उनके अपने बेटे हो या उनके अपने भाई या उनके अपने परिवारवाले ही हो। वही लोग हैं जिनके दिलों में अल्लाह ने ईमान को अंकित कर दिया है और अपनी ओर से एक आत्मा के द्वारा उन्हें शक्ति दी है। और उन्हें वह ऐसे बाग़ों में दाख़िल करेगा जिनके नीचे नहरें बह रही होंगी; जहाँ वे सदैव रहेंगे। अल्लाह उनसे राज़ी हुआ और वे भी उससे राज़ी हुए। वे अल्लाह की पार्टी के लोग है। सावधान रहो, निश्चय ही अल्लाह की पार्टीवाले ही सफल है
English Sahih:
You will not find a people who believe in Allah and the Last Day having affection for those who oppose Allah and His Messenger, even if they were their fathers or their sons or their brothers or their kindred. Those – He has decreed within their hearts faith and supported them with spirit from Him. And We will admit them to gardens beneath which rivers flow, wherein they abide eternally. Allah is pleased with them, and they are pleased with Him – those are the party of Allah. Unquestionably, the party of Allah – they are the successful. ([58] Al-Mujadila : 22)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
जो लोग ख़ुदा और रोज़े आख़ेरत पर ईमान रखते हैं तुम उनको ख़ुदा और उसके रसूल के दुश्मनों से दोस्ती करते हुए न देखोगे अगरचे वह उनके बाप या बेटे या भाई या ख़ानदान ही के लोग (क्यों न हों) यही वह लोग हैं जिनके दिलों में ख़ुदा ने ईमान को साबित कर दिया है और ख़ास अपने नूर से उनकी ताईद की है और उनको (बेहिश्त में) उन (हरे भरे) बाग़ों में दाखिल करेगा जिनके नीचे नहरे जारी है (और वह) हमेश उसमें रहेंगे ख़ुदा उनसे राज़ी और वह ख़ुदा से ख़ुश यही ख़ुदा का गिरोह है सुन रखो कि ख़ुदा के गिरोग के लोग दिली मुरादें पाएँगे