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اِنَّمَا النَّجْوٰى مِنَ الشَّيْطٰنِ لِيَحْزُنَ الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا وَلَيْسَ بِضَاۤرِّهِمْ شَيْـًٔا اِلَّا بِاِذْنِ اللّٰهِ ۗوَعَلَى اللّٰهِ فَلْيَتَوَكَّلِ الْمُؤْمِنُوْنَ  ( المجادلة: ١٠ )

Only
إِنَّمَا
बेशक
the secret counsels
ٱلنَّجْوَىٰ
सरगोशी
(are) from
مِنَ
शैतान की तरफ़ से है
the Shaitaan
ٱلشَّيْطَٰنِ
शैतान की तरफ़ से है
that he may grieve
لِيَحْزُنَ
ताकि वो ग़मगीन करे
those who
ٱلَّذِينَ
उनको जो
believe
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए
but not
وَلَيْسَ
हालाँकि नहीं वो
he (can) harm them
بِضَآرِّهِمْ
नुक़्सान देने वाले उन्हें
(in) anything
شَيْـًٔا
कुछ भी
except
إِلَّا
मगर
by Allah's permission
بِإِذْنِ
अल्लाह के इज़्न स
by Allah's permission
ٱللَّهِۚ
अल्लाह के इज़्न स
And upon
وَعَلَى
और अल्लाह ही पर
Allah
ٱللَّهِ
और अल्लाह ही पर
let put (their) trust
فَلْيَتَوَكَّلِ
पस चाहिए की तवक्कुल करें
the believers
ٱلْمُؤْمِنُونَ
मोमिन

Innama alnnajwa mina alshshaytani liyahzuna allatheena amanoo walaysa bidarrihim shayan illa biithni Allahi wa'ala Allahi falyatawakkali almuminoona (al-Mujādilah 58:10)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

वह कानाफूसी तो केवल शैतान की ओर से है, ताकि वह उन्हें ग़म में डाले जो ईमान लाए है। हालाँकि अल्लाह की अवज्ञा के बिना उसे कुछ भी हानि पहुँचाने की सामर्थ्य प्राप्त नहीं। और ईमानवालों को तो अल्लाह ही पर भरोसा रखना चाहिए

English Sahih:

Private conversation is only from Satan that he may grieve those who have believed, but he will not harm them at all except by permission of Allah. And upon Allah let the believers rely. ([58] Al-Mujadila : 10)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

(बरी बातों की) सरगोशी तो बस एक शैतानी काम है (और इसलिए करते हैं) ताकि ईमानदारों को उससे रंज पहुँचे हालॉकि ख़ुदा की तरफ से आज़ादी दिए बग़ैर सरगोशी उनका कुछ बिगाड़ नहीं सकती और मोमिनीन को तो ख़ुदा ही पर भरोसा रखना चाहिए