مَآ اَصَابَ مِنْ مُّصِيْبَةٍ فِى الْاَرْضِ وَلَا فِيْٓ اَنْفُسِكُمْ اِلَّا فِيْ كِتٰبٍ مِّنْ قَبْلِ اَنْ نَّبْرَاَهَا ۗاِنَّ ذٰلِكَ عَلَى اللّٰهِ يَسِيْرٌۖ ( الحديد: ٢٢ )
Not
مَآ
नहीं
strikes
أَصَابَ
पहुँचती
any
مِن
कोई मुसीबत
disaster
مُّصِيبَةٍ
कोई मुसीबत
in
فِى
ज़मीन में
the earth
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन में
and not
وَلَا
और ना
in
فِىٓ
तुम्हारे नफ़्सों में
yourselves
أَنفُسِكُمْ
तुम्हारे नफ़्सों में
but
إِلَّا
मगर
in
فِى
एक किताब में है
a Register
كِتَٰبٍ
एक किताब में है
before
مِّن
इससे पहले
before
قَبْلِ
इससे पहले
that
أَن
कि
We bring it into existence
نَّبْرَأَهَآۚ
हम पैदा करें उसे
Indeed
إِنَّ
बेशक
that
ذَٰلِكَ
ये
for
عَلَى
अल्लाह पर
Allah
ٱللَّهِ
अल्लाह पर
(is) easy
يَسِيرٌ
बहुत आसान है
Ma asaba min museebatin fee alardi wala fee anfusikum illa fee kitabin min qabli an nabraaha inna thalika 'ala Allahi yaseerun (al-Ḥadīd 57:22)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
जो मुसीबतें भी धरती में आती है और तुम्हारे अपने ऊपर, वह अनिवार्यतः एक किताब में अंकित है, इससे पहले कि हम उसे अस्तित्व में लाएँ - निश्चय ही यह अल्लाह के लिए आसान है -
English Sahih:
No disaster strikes upon the earth or among yourselves except that it is in a register before We bring it into being – indeed that, for Allah, is easy – ([57] Al-Hadid : 22)