تَجْرِيْ بِاَعْيُنِنَاۚ جَزَاۤءً لِّمَنْ كَانَ كُفِرَ ( القمر: ١٤ )
Sailing
تَجْرِى
जो चल रही थी
before Our eyes
بِأَعْيُنِنَا
हमारी निगाहों के सामने
a reward
جَزَآءً
बदला था
for (he) who
لِّمَن
उसका जिसका
was
كَانَ
था
denied
كُفِرَ
इन्कार किया गया
Tajree bia'yunina jazaan liman kana kufira (al-Q̈amar 54:14)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
जो हमारी निगाहों के सामने चल रही थी - यह बदला था उस व्यक्ति के लिए जिसकी क़द्र नहीं की गई।
English Sahih:
Sailing under Our observation as reward for he who had been denied. ([54] Al-Qamar : 14)