ذُوْقُوْا فِتْنَتَكُمْۗ هٰذَا الَّذِيْ كُنْتُمْ بِهٖ تَسْتَعْجِلُوْنَ ( الذاريات: ١٤ )
"Taste
ذُوقُوا۟
चखो
your trial
فِتْنَتَكُمْ
अज़ाब अपना
This
هَٰذَا
ये है
(is) what
ٱلَّذِى
वो जो
you were
كُنتُم
थे तुम
for it
بِهِۦ
जिसे
seeking to hasten"
تَسْتَعْجِلُونَ
तुम जल्दी तलब करते
Thooqoo fitnatakum hatha allathee kuntum bihi tasta'jiloona (aḏ-Ḏāriyāt 51:14)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
'चखों मज़ा. अपने फ़ितने (उपद्रव) का! यहीं है जिसके लिए तुम जल्दी मचा रहे थे।'
English Sahih:
[And will be told], "Taste your torment. This is that for which you were impatient." ([51] Adh-Dhariyat : 14)