اَفَلَمْ يَنْظُرُوْٓا اِلَى السَّمَاۤءِ فَوْقَهُمْ كَيْفَ بَنَيْنٰهَا وَزَيَّنّٰهَا وَمَا لَهَا مِنْ فُرُوْجٍ ( ق: ٦ )
Then do not
أَفَلَمْ
क्या भला नहीं
they look
يَنظُرُوٓا۟
उन्होंने देखा
at
إِلَى
तरफ़ आसमान के
the sky
ٱلسَّمَآءِ
तरफ़ आसमान के
above them -
فَوْقَهُمْ
अपने ऊपर
how
كَيْفَ
किस तरह
We structured it
بَنَيْنَٰهَا
बनाया हमने उसे
and adorned it
وَزَيَّنَّٰهَا
और मुज़य्यन किया हमने उसे
and not
وَمَا
और नहीं है
for it
لَهَا
उसमें
any
مِن
कोई शगाफ़
rifts?
فُرُوجٍ
कोई शगाफ़
Afalam yanthuroo ila alssamai fawqahum kayfa banaynaha wazayyannaha wama laha min furoojin (Q̈āf 50:6)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
अच्छा तो क्या उन्होंने अपने ऊपर आकाश को नहीं देखा, हमने उसे कैसा बनाया और उसे सजाया। और उसमें कोई दरार नहीं
English Sahih:
Have they not looked at the heaven above them – how We structured it and adorned it and [how] it has no rifts? ([50] Qaf : 6)