رِّزْقًا لِّلْعِبَادِۙ وَاَحْيَيْنَا بِهٖ بَلْدَةً مَّيْتًاۗ كَذٰلِكَ الْخُرُوْجُ ( ق: ١١ )
A provision
رِّزْقًا
रिज़्क़ है
for the slaves
لِّلْعِبَادِۖ
बन्दों के लिए
and We give life
وَأَحْيَيْنَا
और ज़िन्दा किया हमने
therewith
بِهِۦ
साथ उसके
(to) a land
بَلْدَةً
शहर
dead
مَّيْتًاۚ
मुर्दा को
Thus
كَذَٰلِكَ
इसी तरह होगा
(will be) the coming forth
ٱلْخُرُوجُ
निकलना
Rizqan lil'ibadi waahyayna bihi baldatan maytan kathalika alkhurooju (Q̈āf 50:11)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
बन्दों की रोजी के लिए। और हमने उस (पानी) के द्वारा निर्जीव धरती को जीवन प्रदान किया। इसी प्रकार निकलना भी हैं
English Sahih:
As provision for the servants, and We have given life thereby to a dead land. Thus is the emergence [i.e., resurrection]. ([50] Qaf : 11)