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قُلْ يٰٓاَهْلَ الْكِتٰبِ لَا تَغْلُوْا فِيْ دِيْنِكُمْ غَيْرَ الْحَقِّ وَلَا تَتَّبِعُوْٓا اَهْوَاۤءَ قَوْمٍ قَدْ ضَلُّوْا مِنْ قَبْلُ وَاَضَلُّوْا كَثِيْرًا وَّضَلُّوْا عَنْ سَوَاۤءِ السَّبِيْلِ ࣖ   ( المائدة: ٧٧ )

Say
قُلْ
कह दीजिए
"O People
يَٰٓأَهْلَ
ऐ अहले किताब
(of) the Book!
ٱلْكِتَٰبِ
ऐ अहले किताब
(Do) not
لَا
ना तुम ग़ुलुव करो
exceed
تَغْلُوا۟
ना तुम ग़ुलुव करो
in
فِى
अपने दीन में
your religion
دِينِكُمْ
अपने दीन में
other than
غَيْرَ
बग़ैर
the truth
ٱلْحَقِّ
हक़ के
and (do) not
وَلَا
और ना
follow
تَتَّبِعُوٓا۟
तुम पैरवी करो
(vain) desires
أَهْوَآءَ
ख़्वाहिशात की
(of) a people
قَوْمٍ
एक क़ौम की
certainly
قَدْ
तहक़ीक़
who went astray
ضَلُّوا۟
वो गुमराह हो गए
from
مِن
उससे पहले
before
قَبْلُ
उससे पहले
and they misled
وَأَضَلُّوا۟
और उन्होंने गुमराह किया
many
كَثِيرًا
कसीर तादाद को
and they have strayed
وَضَلُّوا۟
और वो भटक गए
from
عَن
सीधे रास्ते से
(the) right
سَوَآءِ
सीधे रास्ते से
[the] way
ٱلسَّبِيلِ
सीधे रास्ते से

Qul ya ahla alkitabi la taghloo fee deenikum ghayra alhaqqi wala tattabi'oo ahwaa qawmin qad dalloo min qablu waadalloo katheeran wadalloo 'an sawai alssabeeli (al-Māʾidah 5:77)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

कह दो, 'ऐ किताबवालो! अपने धर्म में नाहक़ हद से आगे न बढ़ो और उन लोगों की इच्छाओं का पालन न करो, जो इससे पहले स्वयं पथभ्रष्ट हुए और बहुतो को पथभ्रष्ट किया और सीधे मार्ग से भटक गए

English Sahih:

Say, "O People of the Scripture, do not exceed limits in your religion beyond the truth and do not follow the inclinations of a people who had gone astray before and misled many and have strayed from the soundness of the way." ([5] Al-Ma'idah : 77)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

ऐ रसूल तुम कह दो कि ऐ अहले किताब तुम अपने दीन में नाहक़ ज्यादती न करो और न उन लोगों (अपने बुज़ुगों) की नफ़सियानी ख्वाहिशों पर चलो जो पहले ख़ुद ही गुमराह हो चुके और (अपने साथ और भी) बहुतेरों को गुमराह कर छोड़ा और राहे रास्त से (दूर) भटक गए