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لَقَدْ اَخَذْنَا مِيْثَاقَ بَنِيْٓ اِسْرَاۤءِيْلَ وَاَرْسَلْنَآ اِلَيْهِمْ رُسُلًا ۗ كُلَّمَا جَاۤءَهُمْ رَسُوْلٌۢ بِمَا لَا تَهْوٰٓى اَنْفُسُهُمْۙ فَرِيْقًا كَذَّبُوْا وَفَرِيْقًا يَّقْتُلُوْنَ  ( المائدة: ٧٠ )

Certainly
لَقَدْ
अलबत्ता तहक़ीक़
We took
أَخَذْنَا
लिया हमने
a Covenant
مِيثَٰقَ
पुख़्ता अहद
(from the) Children
بَنِىٓ
बनी इस्राईल से
(of) Israel
إِسْرَٰٓءِيلَ
बनी इस्राईल से
and We sent
وَأَرْسَلْنَآ
और भेजे हमने
to them
إِلَيْهِمْ
तरफ़ उनके
Messengers
رُسُلًاۖ
कई रसूल
Whenever
كُلَّمَا
जब कभी
came to them
جَآءَهُمْ
आया उनके पास
any Messenger
رَسُولٌۢ
कोई रसूल
with what
بِمَا
साथ उसके जो
not
لَا
नहीं चाहते थे
desired
تَهْوَىٰٓ
नहीं चाहते थे
their souls
أَنفُسُهُمْ
नफ़्स उनके
a group
فَرِيقًا
एक गिरोह को
they denied
كَذَّبُوا۟
उन्होंने झुठलाया
and a group
وَفَرِيقًا
और एक गिरोह को
they kill
يَقْتُلُونَ
वो क़त्ल करते थे

Laqad akhathna meethaqa banee israeela waarsalna ilayhim rusulan kullama jaahum rasoolun bima la tahwa anfusuhum fareeqan kaththaboo wafareeqan yaqtuloona (al-Māʾidah 5:70)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

हमने इसराईल की सन्तान से दृढ़ वचन लिया और उनकी ओर रसूल भेजे। उनके पास जब भी कोई रसूल वह कुछ लेकर आया जो उन्हें पसन्द न था, तो कितनों को तो उन्होंने झुठलाया और कितनों की हत्या करने लगे

English Sahih:

We had already taken the covenant of the Children of Israel and had sent to them messengers. Whenever there came to them a messenger with what their souls did not desire, a party [of messengers] they denied, and another party they killed. ([5] Al-Ma'idah : 70)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

हमने बनी इसराईल से एहद व पैमान ले लिया था और उनके पास बहुत रसूल भी भेजे थे (इस पर भी) जब उनके पास कोई रसूल उनकी मर्ज़ी के ख़िलाफ़ हुक्म लेकर आया तो इन (कम्बख्त) लोगों ने किसी को झुठला दिया और किसी को क़त्ल ही कर डाला