۞ يٰٓاَيُّهَا الرَّسُوْلُ بَلِّغْ مَآ اُنْزِلَ اِلَيْكَ مِنْ رَّبِّكَ ۗوَاِنْ لَّمْ تَفْعَلْ فَمَا بَلَّغْتَ رِسٰلَتَهٗ ۗوَاللّٰهُ يَعْصِمُكَ مِنَ النَّاسِۗ اِنَّ اللّٰهَ لَا يَهْدِى الْقَوْمَ الْكٰفِرِيْنَ ( المائدة: ٦٧ )
Ya ayyuha alrrasoolu balligh ma onzila ilayka min rabbika wain lam taf'al fama ballaghta risalatahu waAllahu ya'simuka mina alnnasi inna Allaha la yahdee alqawma alkafireena (al-Māʾidah 5:67)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
ऐ रसूल! तुम्हारे रब की ओर से तुम पर जो कुछ उतारा गया है, उसे पहुँचा दो। यदि ऐसा न किया तो तुमने उसका सन्देश नहीं पहुँचाया। अल्लाह तुम्हें लोगों (की बुराइयों) से बचाएगा। निश्चय ही अल्लाह इनकार करनेवाले लोगों को मार्ग नहीं दिखाता
English Sahih:
O Messenger, announce that which has been revealed to you from your Lord, and if you do not, then you have not conveyed His message. And Allah will protect you from the people. Indeed, Allah does not guide the disbelieving people. ([5] Al-Ma'idah : 67)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
ऐ रसूल जो हुक्म तुम्हारे परवरदिगार की तरफ़ से तुम पर नाज़िल किया गया है पहुंचा दो और अगर तुमने ऐसा न किया तो (समझ लो कि) तुमने उसका कोई पैग़ाम ही नहीं पहुंचाया और (तुम डरो नहीं) ख़ुदा तुमको लोगों के श्शर से महफ़ूज़ रखेगा ख़ुदा हरगिज़ काफ़िरों की क़ौम को मंज़िले मक़सूद तक नहीं पहुंचाता