وَتَرٰى كَثِيْرًا مِّنْهُمْ يُسَارِعُوْنَ فِى الْاِثْمِ وَالْعُدْوَانِ وَاَكْلِهِمُ السُّحْتَۗ لَبِئْسَ مَا كَانُوْا يَعْمَلُوْنَ ( المائدة: ٦٢ )
And you see
وَتَرَىٰ
और आप देखेंगे
many
كَثِيرًا
कसीर तादाद को
of them
مِّنْهُمْ
उनमें से
hastening
يُسَٰرِعُونَ
वो दौड़ धूप करते हैं
into
فِى
गुनाह में
[the] sin
ٱلْإِثْمِ
गुनाह में
and [the] transgression
وَٱلْعُدْوَٰنِ
और ज़्यादती में
and eating
وَأَكْلِهِمُ
और अपने खाने में
the forbidden
ٱلسُّحْتَۚ
हराम को
Surely evil
لَبِئْسَ
अलबत्ता कितना बुरा है
(is) what
مَا
जो
they were
كَانُوا۟
थे वो
doing
يَعْمَلُونَ
वो अमल करते
Watara katheeran minhum yusari'oona fee alithmi waal'udwani waaklihimu alssuhta labisa ma kanoo ya'maloona (al-Māʾidah 5:62)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
तुम देखते हो कि उनमें से बहुतेरे लोग हक़ मारने, ज़्यादती करने और हरामख़ोरी में बड़ी तेज़ी दिखाते है। निश्चय ही बहुत ही बुरा है, जो वे कर रहे है
English Sahih:
And you see many of them hastening into sin and aggression and the devouring of [what is] unlawful. How wretched is what they have been doing. ([5] Al-Ma'idah : 62)