وَاِذَا جَاۤءُوْكُمْ قَالُوْٓا اٰمَنَّا وَقَدْ دَّخَلُوْا بِالْكُفْرِ وَهُمْ قَدْ خَرَجُوْا بِهٖ ۗوَاللّٰهُ اَعْلَمُ بِمَا كَانُوْا يَكْتُمُوْنَ ( المائدة: ٦١ )
And when
وَإِذَا
और जब
they come to you
جَآءُوكُمْ
वो आते हैं तुम्हारे पास
they say
قَالُوٓا۟
वो कहते हैं
"We believe"
ءَامَنَّا
ईमान लाए हम
But certainly
وَقَد
हालाँकि तहक़ीक़
they entered
دَّخَلُوا۟
वो दाख़िल हुए थे
with disbelief
بِٱلْكُفْرِ
साथ कुफ़्र के
and they
وَهُمْ
और वो
certainly
قَدْ
यक़ीनन
went out
خَرَجُوا۟
वो निकल गए
with it
بِهِۦۚ
साथ उसी के
And Allah
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
knows best
أَعْلَمُ
ज़्यादा जानता है
[of] what
بِمَا
उसको जो
they were
كَانُوا۟
थे वो
hiding
يَكْتُمُونَ
वो छुपाते
Waitha jaookum qaloo amanna waqad dakhaloo bialkufri wahum qad kharajoo bihi waAllahu a'lamu bima kanoo yaktumoona (al-Māʾidah 5:61)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
जब वे (यहूदी) तुम लोगों के पास आते है तो कहते है, 'हम ईमान ले आए।' हालाँकि वे इनकार के साथ आए थे और उसी के साथ चले गए। अल्लाह भली-भाँति जानता है जो कुछ वे छिपाते है
English Sahih:
And when they come to you, they say, "We believe." But they have entered with disbelief [in their hearts], and they have certainly left with it. And Allah is most knowing of what they were concealing. ([5] Al-Ma'idah : 61)