يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا لَا تَتَّخِذُوا الَّذِيْنَ اتَّخَذُوْا دِيْنَكُمْ هُزُوًا وَّلَعِبًا مِّنَ الَّذِيْنَ اُوْتُوا الْكِتٰبَ مِنْ قَبْلِكُمْ وَالْكُفَّارَ اَوْلِيَاۤءَۚ وَاتَّقُوا اللّٰهَ اِنْ كُنْتُمْ مُّؤْمِنِيْنَ ( المائدة: ٥٧ )
Ya ayyuha allatheena amanoo la tattakhithoo allatheena ittakhathoo deenakum huzuwan wala'iban mina allatheena ootoo alkitaba min qablikum waalkuffara awliyaa waittaqoo Allaha in kuntum mumineena (al-Māʾidah 5:57)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
ऐ ईमान लानेवालो! तुमसे पहले जिनको किताब दी गई थी, जिन्होंने तुम्हारे धर्म को हँसी-खेल बना लिया है, उन्हें और इनकार करनेवालों को अपना मित्र न बनाओ। और अल्लाह का डर रखों यदि तुम ईमानवाले हो
English Sahih:
O you who have believed, take not those who have taken your religion in ridicule and amusement among the ones who were given the Scripture before you nor the disbelievers as allies. And fear Allah, if you should [truly] be believers. ([5] Al-Ma'idah : 57)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
ऐ ईमानदारों जिन लोगों (यहूद व नसारा) को तुम से पहले किताबे (ख़ुदा तौरेत, इन्जील) दी जा चुकी है उनमें से जिन लोगों ने तुम्हारे दीन को हॅसी खेल बना रखा है उनको और कुफ्फ़ार को अपना सरपरस्त न बनाओ और अगर तुम सच्चे ईमानदार हो तो ख़ुदा ही से डरते रहो