فَتَرَى الَّذِيْنَ فِيْ قُلُوْبِهِمْ مَّرَضٌ يُّسَارِعُوْنَ فِيْهِمْ يَقُوْلُوْنَ نَخْشٰٓى اَنْ تُصِيْبَنَا دَاۤىِٕرَةٌ ۗفَعَسَى اللّٰهُ اَنْ يَّأْتِيَ بِالْفَتْحِ اَوْ اَمْرٍ مِّنْ عِنْدِهٖ فَيُصْبِحُوْا عَلٰى مَآ اَسَرُّوْا فِيْٓ اَنْفُسِهِمْ نٰدِمِيْنَۗ ( المائدة: ٥٢ )
Fatara allatheena fee quloobihim maradun yusari'oona feehim yaqooloona nakhsha an tuseebana dairatun fa'asa Allahu an yatiya bialfathi aw amrin min 'indihi fayusbihoo 'ala ma asarroo fee anfusihim nadimeena (al-Māʾidah 5:52)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
तो तुम देखते हो कि जिन लोगों के दिलों में रोग है, वे उनके यहाँ जाकर उनके बीच दौड़-धूप कर रहे है। वे कहते है, 'हमें भय है कि कहीं हम किसी संकट में न ग्रस्त हो जाएँ।' तो सम्भव है कि जल्द ही अल्लाह (तुम्हे) विजय प्रदान करे या उसकी ओर से कोई और बात प्रकट हो। फिर तो ये लोग जो कुछ अपने जी में छिपाए हुए है, उसपर लज्जित होंगे
English Sahih:
So you see those in whose hearts is disease [i.e., hypocrisy] hastening into [association with] them, saying, "We are afraid a misfortune may strike us." But perhaps Allah will bring conquest or a decision from Him, and they will become, over what they have been concealing within themselves, regretful. ([5] Al-Ma'idah : 52)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
तो (ऐ रसूल) जिन लोगों के दिलों में (नेफ़ाक़ की) बीमारी है तुम उन्हें देखोगे कि उनमें दौड़ दौड़ के मिले जाते हैं और तुमसे उसकी वजह यह बयान करते हैं कि हम तो इससे डरते हैं कि कहीं ऐसा न हो उनके न (मिलने से) ज़माने की गर्दिश में न मुब्तिला हो जाएं तो अनक़रीब ही ख़ुदा (मुसलमानों की) फ़तेह या कोई और बात अपनी तरफ़ से ज़ाहिर कर देगा तब यह लोग इस बदगुमानी पर जो अपने जी में छिपाते थे शर्माएंगे (