۞ يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا لَا تَتَّخِذُوا الْيَهُوْدَ وَالنَّصٰرٰٓى اَوْلِيَاۤءَ ۘ بَعْضُهُمْ اَوْلِيَاۤءُ بَعْضٍۗ وَمَنْ يَّتَوَلَّهُمْ مِّنْكُمْ فَاِنَّهٗ مِنْهُمْ ۗ اِنَّ اللّٰهَ لَا يَهْدِى الْقَوْمَ الظّٰلِمِيْنَ ( المائدة: ٥١ )
Ya ayyuha allatheena amanoo la tattakhithoo alyahooda waalnnasara awliyaa ba'duhum awliyao ba'din waman yatawallahum minkum fainnahu minhum inna Allaha la yahdee alqawma alththalimeena (al-Māʾidah 5:51)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
ऐ ईमान लानेवालो! तुम यहूदियों और ईसाइयों को अपना मित्र (राज़दार) न बनाओ। वे (तुम्हारे विरुद्ध) परस्पर एक-दूसरे के मित्र है। तुममें से जो कोई उनको अपना मित्र बनाएगा, वह उन्हीं लोगों में से होगा। निस्संदेह अल्लाह अत्याचारियों को मार्ग नहीं दिखाता
English Sahih:
O you who have believed, do not take the Jews and the Christians as allies. They are [in fact] allies of one another. And whoever is an ally to them among you – then indeed, he is [one] of them. Indeed, Allah guides not the wrongdoing people. ([5] Al-Ma'idah : 51)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
ऐ ईमानदारों यहूदियों और नसरानियों को अपना सरपरस्त न बनाओ (क्योंकि) ये लोग (तुम्हारे मुख़ालिफ़ हैं मगर) बाहम एक दूसरे के दोस्त हैं और (याद रहे कि) तुममें से जिसने उनको अपना सरपरस्त बनाया पस फिर वह भी उन्हीं लोगों में से हो गया बेशक ख़ुदा ज़ालिम लोगों को राहे रास्त पर नहीं लाता