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اَفَحُكْمَ الْجَاهِلِيَّةِ يَبْغُوْنَۗ وَمَنْ اَحْسَنُ مِنَ اللّٰهِ حُكْمًا لِّقَوْمٍ يُّوْقِنُوْنَ ࣖ   ( المائدة: ٥٠ )

Is it then the judgment
أَفَحُكْمَ
क्या फिर फ़ैसला
of [the] ignorance
ٱلْجَٰهِلِيَّةِ
जाहिलियत का
they seek?
يَبْغُونَۚ
वो चाहते हैं
And who (is)
وَمَنْ
और कौन
better
أَحْسَنُ
ज़्यादा अच्छा है
than
مِنَ
अल्लाह से
Allah
ٱللَّهِ
अल्लाह से
(in) judgment
حُكْمًا
फ़ैसला करने में
for a people
لِّقَوْمٍ
उन लोगों के लिए
(who) firmly believe
يُوقِنُونَ
जो यक़ीन रखते हैं

Afahukma aljahiliyyati yabghoona waman ahsanu mina Allahu hukman liqawmin yooqinoona (al-Māʾidah 5:50)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

अब क्या वे अज्ञान का फ़ैसला चाहते है? तो विश्वास करनेवाले लोगों के लिए अल्लाह से अच्छा फ़ैसला करनेवाला कौन हो सकता है?

English Sahih:

Then is it the judgement of [the time of] ignorance they desire? But who is better than Allah in judgement for a people who are certain [in faith]. ([5] Al-Ma'idah : 50)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

क्या ये लोग (ज़मानाए) जाहिलीयत के हुक्म की (तुमसे भी) तमन्ना रखते हैं हालॉकि यक़ीन करने वाले लोगों के वास्ते हुक्मे ख़ुदा से बेहतर कौन होगा