وَلْيَحْكُمْ اَهْلُ الْاِنْجِيْلِ بِمَآ اَنْزَلَ اللّٰهُ فِيْهِۗ وَمَنْ لَّمْ يَحْكُمْ بِمَآ اَنْزَلَ اللّٰهُ فَاُولٰۤىِٕكَ هُمُ الْفٰسِقُوْنَ ( المائدة: ٤٧ )
And let judge
وَلْيَحْكُمْ
और चाहिए कि फ़ैसला करें
(the) People
أَهْلُ
अहले इन्जील
(of) the Injeel
ٱلْإِنجِيلِ
अहले इन्जील
by what
بِمَآ
उसके मुताबिक़ जो
has revealed
أَنزَلَ
नाज़िल किया
Allah
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
in it
فِيهِۚ
उसमें
And whoever
وَمَن
और जो
(does) not
لَّمْ
ना
judge
يَحْكُم
फ़ैसला करे
by what
بِمَآ
उसके मुताबिक़ जो
has revealed
أَنزَلَ
नाज़िल किया
Allah
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
then those
فَأُو۟لَٰٓئِكَ
तो यही लोग हैं
[they] (are)
هُمُ
वो
the defiantly disobedient
ٱلْفَٰسِقُونَ
जो फ़ासिक़ हैं
Walyahkum ahlu alinjeeli bima anzala Allahu feehi waman lam yahkum bima anzala Allahu faolaika humu alfasiqoona (al-Māʾidah 5:47)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
अतः इनजील वालों को चाहिए कि उस विधान के अनुसार फ़ैसला करें, जो अल्लाह ने उस इनजील में उतारा है। और जो उसके अनुसार फ़ैसला न करें, जो अल्लाह ने उतारा है, तो ऐसे ही लोग उल्लंघनकारी है
English Sahih:
And let the People of the Gospel judge by what Allah has revealed therein. And whoever does not judge by what Allah has revealed – then it is those who are the defiantly disobedient. ([5] Al-Ma'idah : 47)