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۞ وَاتْلُ عَلَيْهِمْ نَبَاَ ابْنَيْ اٰدَمَ بِالْحَقِّۘ اِذْ قَرَّبَا قُرْبَانًا فَتُقُبِّلَ مِنْ اَحَدِهِمَا وَلَمْ يُتَقَبَّلْ مِنَ الْاٰخَرِۗ قَالَ لَاَقْتُلَنَّكَ ۗ قَالَ اِنَّمَا يَتَقَبَّلُ اللّٰهُ مِنَ الْمُتَّقِيْنَ  ( المائدة: ٢٧ )

And recite
وَٱتْلُ
और पढ़िए
to them
عَلَيْهِمْ
उन पर
the story
نَبَأَ
ख़बर
(of) two sons
ٱبْنَىْ
दो बेटों की
(of) Adam
ءَادَمَ
आदम के
in truth
بِٱلْحَقِّ
साथ हक़ के
when
إِذْ
जब
both offered
قَرَّبَا
उन दोनों ने क़ुर्बानी की
a sacrifice
قُرْبَانًا
क़ुर्बानी करना
and it was accepted
فَتُقُبِّلَ
तो वो क़ुबूल कर ली गई
from
مِنْ
उन दोनों में से एक से
one of them
أَحَدِهِمَا
उन दोनों में से एक से
and not
وَلَمْ
और ना
was accepted
يُتَقَبَّلْ
वो क़ुबूल की गई
from
مِنَ
दूसरे से
the other
ٱلْءَاخَرِ
दूसरे से
Said (the latter)
قَالَ
कहा
"Surely I will kill you"
لَأَقْتُلَنَّكَۖ
अलबत्ता मैं ज़रूर क़त्ल करुँगा तुझे
Said (the former)
قَالَ
कहा
"Only
إِنَّمَا
बेशक
accepts
يَتَقَبَّلُ
क़ुबूल करता है
(does) Allah
ٱللَّهُ
अल्लाह
from
مِنَ
मुत्तक़ी लोगों से
the God fearing
ٱلْمُتَّقِينَ
मुत्तक़ी लोगों से

Waotlu 'alayhim nabaa ibnay adama bialhaqqi ith qarraba qurbanan fatuqubbila min ahadihima walam yutaqabbal mina alakhari qala laaqtulannaka qala innama yataqabbalu Allahu mina almuttaqeena (al-Māʾidah 5:27)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

और इन्हें आदम के दो बेटों का सच्चा वृतान्त सुना दो। जब दोनों ने क़ुरबानी की, तो उनमें से एक की क़ुरबानी स्वीकृत हुई और दूसरे की स्वीकृत न हुई। उसने कहा, 'मै तुझे अवश्य मार डालूँगा।' दूसरे न कहा, 'अल्लाह तो उन्हीं की (क़ुरबानी) स्वीकृत करता है, जो डर रखनेवाले है।

English Sahih:

And recite to them the story of Adam's two sons, in truth, when they both made an offering [to Allah], and it was accepted from one of them but was not accepted from the other. Said [the latter], "I will surely kill you." Said [the former], "Indeed, Allah only accepts from the righteous [who fear Him]. ([5] Al-Ma'idah : 27)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

(ऐ रसूल) तुम इन लोगों से आदम के दो बेटों (हाबील, क़ाबील) का सच्चा क़स्द बयान कर दो कि जब उन दोनों ने ख़ुदा की दरगाह में नियाज़ें चढ़ाई तो (उनमें से) एक (हाबील) की (नज़र तो) क़ुबूल हुई और दूसरे (क़ाबील) की नज़र न क़ुबूल हुई तो (मारे हसद के) हाबील से कहने लगा मैं तो तुझे ज़रूर मार डालूंगा उसने जवाब दिया कि (भाई इसमें अपना क्या बस है) ख़ुदा तो सिर्फ परहेज़गारों की नज़र कुबूल करता है