يٰٓاَهْلَ الْكِتٰبِ قَدْ جَاۤءَكُمْ رَسُوْلُنَا يُبَيِّنُ لَكُمْ كَثِيْرًا مِّمَّا كُنْتُمْ تُخْفُوْنَ مِنَ الْكِتٰبِ وَيَعْفُوْا عَنْ كَثِيْرٍەۗ قَدْ جَاۤءَكُمْ مِّنَ اللّٰهِ نُوْرٌ وَّكِتٰبٌ مُّبِيْنٌۙ ( المائدة: ١٥ )
Ya ahla alkitabi qad jaakum rasooluna yubayyinu lakum katheeran mimma kuntum tukhfoona mina alkitabi waya'foo 'an katheerin qad jaakum mina Allahi noorun wakitabun mubeenun (al-Māʾidah 5:15)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
ऐ किताबवालों! हमारा रसूल तुम्हारे पास आ गया है। किताब की जो बातें तुम छिपाते थे, उसमें से बहुत-सी बातें वह तुम्हारे सामने खोल रहा है और बहुत-सी बातों को छोड़ देता है। तुम्हारे पास अल्लाह की ओर से प्रकाश और एक स्पष्ट किताब आ गई है,
English Sahih:
O People of the Scripture, there has come to you Our Messenger making clear to you much of what you used to conceal of the Scripture and overlooking much. There has come to you from Allah a light and a clear Book [i.e., the Quran] ([5] Al-Ma'idah : 15)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
ऐ अहले किताब तुम्हारे पास हमारा पैगम्बर (मोहम्मद सल्ल) आ चुका जो किताबे ख़ुदा की उन बातों में से जिन्हें तुम छुपाया करते थे बहुतेरी तो साफ़ साफ़ बयान कर देगा और बहुतेरी से (अमदन) दरगुज़र करेगा तुम्हरे पास तो ख़ुदा की तरफ़ से एक (चमकता हुआ) नूर और साफ़ साफ़ बयान करने वाली किताब (कुरान) आ चुकी है