فَاِنْ عُثِرَ عَلٰٓى اَنَّهُمَا اسْتَحَقَّآ اِثْمًا فَاٰخَرٰنِ يَقُوْمٰنِ مَقَامَهُمَا مِنَ الَّذِيْنَ اسْتَحَقَّ عَلَيْهِمُ الْاَوْلَيٰنِ فَيُقْسِمٰنِ بِاللّٰهِ لَشَهَادَتُنَآ اَحَقُّ مِنْ شَهَادَتِهِمَا وَمَا اعْتَدَيْنَآ ۖاِنَّآ اِذًا لَّمِنَ الظّٰلِمِيْنَ ( المائدة: ١٠٧ )
Fain 'uthira 'ala annahuma istahaqqa ithman faakharani yaqoomani maqamahuma mina allatheena istahaqqa 'alayhimu alawlayani fayuqsimani biAllahi lashahadatuna ahaqqu min shahadatihima wama i'tadayna inna ithan lamina alththalimeena (al-Māʾidah 5:107)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
फिर यदि पता चल जाए कि उन दोनों ने हक़ मारकर अपने को गुनाह में डाल लिया है, तो उनकी जगह दूसरे दो व्यक्ति उन लोगों में से खड़े हो जाएँ, जिनका हक़ पिछले दोनों ने मारना चाहा था, फिर वे दोनों अल्लाह की क़समें खाएँ कि 'हम दोनों की गवाही उन दोनों की गवाही से अधिक सच्ची है और हमने कोई ज़्यादती नहीं की है। निस्सन्देह हमने ऐसा किया तो अत्याचारियों में से होंगे।'
English Sahih:
But if it is found that those two were guilty of sin [i.e., perjury], let two others stand in their place [who are] foremost [in claim] from those who have a lawful right. And let them swear by Allah, "Our testimony is truer than their testimony, and we have not transgressed. Indeed, we would then be of the wrongdoers." ([5] Al-Ma'idah : 107)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
अगर इस पर मालूम हो जाए कि वह दोनों (दरोग़ हलफ़ी (झूठी कसम) से) गुनाह के मुस्तहक़ हो गए तो दूसरे दो आदमी उन लोगों में से जिनका हक़ दबाया गया है और (मय्यत) के ज्यादा क़राबतदार हैं (उनकी तरवीद में) उनकी जगह खड़े हो जाएँ फिर दो नए गवाह ख़ुदा की क़सम खाएँ कि पहले दो गवाहों की निस्बत हमारी गवाही ज्यादा सच्ची है और हमने (हक़) नहीं छुपाया और अगर ऐसा किया हो तो उस वक्त बेशक हम ज़ालिम हैं