وَاِذَا قِيْلَ لَهُمْ تَعَالَوْا اِلٰى مَآ اَنْزَلَ اللّٰهُ وَاِلَى الرَّسُوْلِ قَالُوْا حَسْبُنَا مَا وَجَدْنَا عَلَيْهِ اٰبَاۤءَنَا ۗ اَوَلَوْ كَانَ اٰبَاۤؤُهُمْ لَا يَعْلَمُوْنَ شَيْـًٔا وَّلَا يَهْتَدُوْنَ ( المائدة: ١٠٤ )
Waitha qeela lahum ta'alaw ila ma anzala Allahu waila alrrasooli qaloo hasbuna ma wajadna 'alayhi abaana awalaw kana abaohum la ya'lamoona shayan wala yahtadoona (al-Māʾidah 5:104)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और जब उनसे कहा जाता है कि उस चीज़ की ओर आओ जो अल्लाह ने अवतरित की है और रसूल की ओर, तो वे कहते है, 'हमारे लिए तो वही काफ़ी है, जिस पर हमने अपने बाप-दादा को पाया है।' क्या यद्यपि उनके बापृ-दादा कुछ भी न जानते रहे हों और न सीधे मार्ग पर रहे हो?
English Sahih:
And when it is said to them, "Come to what Allah has revealed and to the Messenger," they say, "Sufficient for us is that upon which we found our fathers." Even though their fathers knew nothing, nor were they guided? ([5] Al-Ma'idah : 104)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और जब उनसे कहा जाता है कि जो (क़ुरान) ख़ुदा ने नाज़िल फरमाया है उसकी तरफ और रसूल की आओ (और जो कुछ कहे उसे मानों तो कहते हैं कि हमने जिस (रंग) में अपने बाप दादा को पाया वही हमारे लिए काफी है क्या (ये लोग लकीर के फकीर ही रहेंगे) अगरचे उनके बाप दादा न कुछ जानते ही हों न हिदायत ही पायी हो