وَاعْلَمُوْٓا اَنَّ فِيْكُمْ رَسُوْلَ اللّٰهِ ۗ لَوْ يُطِيْعُكُمْ فِيْ كَثِيْرٍ مِّنَ الْاَمْرِ لَعَنِتُّمْ وَلٰكِنَّ اللّٰهَ حَبَّبَ اِلَيْكُمُ الْاِيْمَانَ وَزَيَّنَهٗ فِيْ قُلُوْبِكُمْ وَكَرَّهَ اِلَيْكُمُ الْكُفْرَ وَالْفُسُوْقَ وَالْعِصْيَانَ ۗ اُولٰۤىِٕكَ هُمُ الرَّاشِدُوْنَۙ ( الحجرات: ٧ )
Wai'lamoo anna feekum rasoola Allahi law yutee'ukum fee katheerin mina alamri la'anittum walakinna Allaha habbaba ilaykumu aleemana wazayyanahu fee quloobikum wakarraha ilaykumu alkufra waalfusooqa waal'isyana olaika humu alrrashidoona (al-Ḥujurāt 49:7)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
जान लो कि तुम्हारे बीच अल्लाह का रसूल मौजूद है। बहुत-से मामलों में यदि वह तुम्हारी बात मान ले तो तुम कठिनाई में पड़ जाओ। किन्तु अल्लाह ने तुम्हारे लिए ईमान को प्रिय बना दिया और उसे तुम्हारे दिलों में सुन्दरता दे दी और इनकार, उल्लंघन और अवज्ञा को तुम्हारे लिए बहुत अप्रिय बना दिया।
English Sahih:
And know that among you is the Messenger of Allah. If he were to obey you in much of the matter, you would be in difficulty, but Allah has endeared to you the faith and has made it pleasing in your hearts and has made hateful to you disbelief, defiance and disobedience. Those are the [rightly] guided. ([49] Al-Hujurat : 7)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और जान रखो कि तुम में ख़ुदा के पैग़म्बर (मौजूद) हैं बहुत सी बातें ऐसी हैं कि अगर रसूल उनमें तुम्हारा कहा मान लिया करें तो (उलटे) तुम ही मुश्किल में पड़ जाओ लेकिन ख़ुदा ने तुम्हें ईमान की मोहब्बत दे दी है और उसको तुम्हारे दिलों में उमदा कर दिखाया है और कुफ़्र और बदकारी और नाफ़रमानी से तुमको बेज़ार कर दिया है यही लोग ख़ुदा के फ़ज़ल व एहसान से राहे हिदायत पर हैं