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وَلَوْ اَنَّهُمْ صَبَرُوْا حَتّٰى تَخْرُجَ اِلَيْهِمْ لَكَانَ خَيْرًا لَّهُمْ ۗوَاللّٰهُ غَفُوْرٌ رَّحِيْمٌ  ( الحجرات: ٥ )

And if
وَلَوْ
और अगर
they
أَنَّهُمْ
ये कि वो
had been patient
صَبَرُوا۟
वो सब्र करते
until
حَتَّىٰ
यहाँ तक कि
you came out
تَخْرُجَ
आप निकलते
to them
إِلَيْهِمْ
तरफ़ उनके
certainly it would be
لَكَانَ
अलबत्ता होता
better
خَيْرًا
बेहतर
for them
لَّهُمْۚ
उनके लिए
And Allah
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
(is) Oft-Forgiving
غَفُورٌ
बहुत बख़्शने वाला है
Most Merciful
رَّحِيمٌ
निहायत रहम करने वाला है

Walaw annahum sabaroo hatta takhruja ilayhim lakana khayran lahum waAllahu ghafoorun raheemun (al-Ḥujurāt 49:5)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

यदि वे धैर्य से काम लेते यहाँ तक कि तुम स्वयं निकलकर उनके पास आ जाते तो यह उनके लिए अच्छा होता। किन्तु अल्लाह बड़ा क्षमाशील, अत्यन्त दयावान है

English Sahih:

And if they had been patient until you [could] come out to them, it would have been better for them. But Allah is Forgiving and Merciful. ([49] Al-Hujurat : 5)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और अगर ये लोग इतना ताम्मुल करते कि तुम ख़ुद निकल कर उनके पास आ जाते (तब बात करते) तो ये उनके लिए बेहतर था और ख़ुदा तो बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है