اِنَّ الَّذِيْنَ يَغُضُّوْنَ اَصْوَاتَهُمْ عِنْدَ رَسُوْلِ اللّٰهِ اُولٰۤىِٕكَ الَّذِيْنَ امْتَحَنَ اللّٰهُ قُلُوْبَهُمْ لِلتَّقْوٰىۗ لَهُمْ مَّغْفِرَةٌ وَّاَجْرٌ عَظِيْمٌ ( الحجرات: ٣ )
Indeed
إِنَّ
बेशक
those who
ٱلَّذِينَ
वो जो
lower
يَغُضُّونَ
पस्त रखते हैं
their voices
أَصْوَٰتَهُمْ
अपनी आवाज़ों को
(in) presence
عِندَ
पास
(of the) Messenger of Allah
رَسُولِ
रसूल अल्लाह के
(of the) Messenger of Allah
ٱللَّهِ
रसूल अल्लाह के
those
أُو۟لَٰٓئِكَ
यही वो लोग हैं
(are) the ones
ٱلَّذِينَ
जो
Allah has tested
ٱمْتَحَنَ
आज़मा लिए
Allah has tested
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
their hearts
قُلُوبَهُمْ
दिल उनके
for righteousness
لِلتَّقْوَىٰۚ
तक़्वा के लिए
For them
لَهُم
उनके लिए
(is) forgiveness
مَّغْفِرَةٌ
बख़्शिश है
and a reward
وَأَجْرٌ
और अजर है
great
عَظِيمٌ
बहुत बड़ा
Inna allatheena yaghuddoona aswatahum 'inda rasooli Allahi olaika allatheena imtahana Allahu quloobahum lilttaqwa lahum maghfiratun waajrun 'atheemun (al-Ḥujurāt 49:3)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
वे लोग जो अल्लाह के रसूल के समक्ष अपनी आवाज़ों को दबी रखते है, वही लोग है जिनके दिलों को अल्लाह ने परहेज़गारी के लिए जाँचकर चुन लिया है। उनके लिए क्षमा और बड़ा बदला है
English Sahih:
Indeed, those who lower their voices before the Messenger of Allah – they are the ones whose hearts Allah has tested for righteousness. For them is forgiveness and great reward. ([49] Al-Hujurat : 3)