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يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا لَا يَسْخَرْ قَوْمٌ مِّنْ قَوْمٍ عَسٰٓى اَنْ يَّكُوْنُوْا خَيْرًا مِّنْهُمْ وَلَا نِسَاۤءٌ مِّنْ نِّسَاۤءٍ عَسٰٓى اَنْ يَّكُنَّ خَيْرًا مِّنْهُنَّۚ وَلَا تَلْمِزُوْٓا اَنْفُسَكُمْ وَلَا تَنَابَزُوْا بِالْاَلْقَابِۗ بِئْسَ الِاسْمُ الْفُسُوْقُ بَعْدَ الْاِيْمَانِۚ وَمَنْ لَّمْ يَتُبْ فَاُولٰۤىِٕكَ هُمُ الظّٰلِمُوْنَ   ( الحجرات: ١١ )

O you who believe!
يَٰٓأَيُّهَا
ऐ लोगो जो
O you who believe!
ٱلَّذِينَ
ऐ लोगो जो
O you who believe!
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए हो
(Let) not
لَا
ना मज़ाक़ उड़ाए
ridicule
يَسْخَرْ
ना मज़ाक़ उड़ाए
a people
قَوْمٌ
कोई क़ौम
[of]
مِّن
किसी क़ौम का
(another) people
قَوْمٍ
किसी क़ौम का
perhaps
عَسَىٰٓ
हो सकता है
that
أَن
कि
they may be
يَكُونُوا۟
हों वो
better
خَيْرًا
बेहतर
than them
مِّنْهُمْ
उनसे
and (let) not
وَلَا
और ना
women
نِسَآءٌ
औरतें
[of]
مِّن
औरतों का
(other) women
نِّسَآءٍ
औरतों का
perhaps
عَسَىٰٓ
हो सकता है
that
أَن
कि
they may be
يَكُنَّ
हों वो
better
خَيْرًا
बेहतर
than them
مِّنْهُنَّۖ
उनसे
And (do) not
وَلَا
और ना
insult
تَلْمِزُوٓا۟
तुम ऐब लगाओ
yourselves
أَنفُسَكُمْ
अपनों को
and (do) not
وَلَا
और ना
call each other
تَنَابَزُوا۟
तुम चिढ़ाओ एक दूसरे को
by nicknames
بِٱلْأَلْقَٰبِۖ
साथ(बुरे) अलक़ाब के
Wretched is
بِئْسَ
कितना बुरा है
the name
ٱلِٱسْمُ
नाम
(of) disobedience
ٱلْفُسُوقُ
फ़िस्क़ में
after
بَعْدَ
बाद
the faith
ٱلْإِيمَٰنِۚ
ईमान के
And whoever
وَمَن
और जो कोई
(does) not
لَّمْ
ना
repent
يَتُبْ
तौबा करे
then those
فَأُو۟لَٰٓئِكَ
तो यही लोग हैं
they
هُمُ
वो
(are) the wrongdoers
ٱلظَّٰلِمُونَ
जो ज़ालिम हैं

Ya ayyuha allatheena amanoo la yaskhar qawmun min qawmin 'asa an yakoonoo khayran minhum wala nisaon min nisain 'asa an yakunna khayran minhunna wala talmizoo anfusakum wala tanabazoo bialalqabi bisa alismu alfusooqu ba'da aleemani waman lam yatub faolaika humu alththalimoona (al-Ḥujurāt 49:11)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

ऐ लोगो, जो ईमान लाए हो! न पुरुषों का कोई गिरोह दूसरे पुरुषों की हँसी उड़ाए, सम्भव है वे उनसे अच्छे हों और न स्त्रियाँ स्त्रियों की हँसी उड़ाए, सम्भव है वे उनसे अच्छी हों, और न अपनों पर ताने कसो और न आपस में एक-दूसरे को बुरी उपाधियों से पुकारो। ईमान के पश्चात अवज्ञाकारी का नाम जुडना बहुत ही बुरा है। और जो व्यक्ति बाज़ न आए, तो ऐसे ही व्यक्ति ज़ालिम है

English Sahih:

O you who have believed, let not a people ridicule [another] people; perhaps they may be better than them; nor let women ridicule [other] women; perhaps they may be better than them. And do not insult one another and do not call each other by [offensive] nicknames. Wretched is the name [i.e., mention] of disobedience after [one's] faith. And whoever does not repent – then it is those who are the wrongdoers. ([49] Al-Hujurat : 11)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

ऐ ईमानदारों (तुम किसी क़ौम का) कोई मर्द ( दूसरी क़ौम के मर्दों की हँसी न उड़ाये मुमकिन है कि वह लोग (ख़ुदा के नज़दीक) उनसे अच्छे हों और न औरते औरतों से (तमसख़ुर करें) क्या अजब है कि वह उनसे अच्छी हों और तुम आपस में एक दूसरे को मिलने न दो न एक दूसरे का बुरा नाम धरो ईमान लाने के बाद बदकारी (का) नाम ही बुरा है और जो लोग बाज़ न आएँ तो ऐसे ही लोग ज़ालिम हैं