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اِذْ جَعَلَ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا فِيْ قُلُوْبِهِمُ الْحَمِيَّةَ حَمِيَّةَ الْجَاهِلِيَّةِ فَاَنْزَلَ اللّٰهُ سَكِيْنَتَهٗ عَلٰى رَسُوْلِهٖ وَعَلَى الْمُؤْمِنِيْنَ وَاَلْزَمَهُمْ كَلِمَةَ التَّقْوٰى وَكَانُوْٓا اَحَقَّ بِهَا وَاَهْلَهَا ۗوَكَانَ اللّٰهُ بِكُلِّ شَيْءٍ عَلِيْمًا ࣖ   ( الفتح: ٢٦ )

When
إِذْ
जब
had put
جَعَلَ
रख लिया
those who
ٱلَّذِينَ
उन लोगों ने जिन्होंने
disbelieved
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
in
فِى
अपने दिलों में
their hearts
قُلُوبِهِمُ
अपने दिलों में
disdain
ٱلْحَمِيَّةَ
हमीयत(ज़िद) को
(the) disdain
حَمِيَّةَ
(जैसे) हमीयत
(of) the time of ignorance
ٱلْجَٰهِلِيَّةِ
जाहिलियत की
Then Allah sent down
فَأَنزَلَ
तो नाज़िल की
Then Allah sent down
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
His tranquility
سَكِينَتَهُۥ
सकीनत अपनी
upon
عَلَىٰ
अपने रसूल पर
His Messenger
رَسُولِهِۦ
अपने रसूल पर
and upon
وَعَلَى
और मोमिनों पर
the believers
ٱلْمُؤْمِنِينَ
और मोमिनों पर
and made them adhere
وَأَلْزَمَهُمْ
और उसने लाज़िम कर दी उन पर
(to the) word
كَلِمَةَ
बात
(of) righteousness
ٱلتَّقْوَىٰ
तक़्वा की
and they were
وَكَانُوٓا۟
और थे वो
more deserving
أَحَقَّ
ज़्यादा हक़दार
of it
بِهَا
उसके
and worthy of it
وَأَهْلَهَاۚ
और अहल उसके
And is
وَكَانَ
और है
Allah
ٱللَّهُ
अल्लाह
of every
بِكُلِّ
हर
thing
شَىْءٍ
चीज़ को
All-Knower
عَلِيمًا
ख़ूब जानने वाला

Ith ja'ala allatheena kafaroo fee quloobihimu alhamiyyata hamiyyata aljahiliyyati faanzala Allahu sakeenatahu 'ala rasoolihi wa'ala almumineena waalzamahum kalimata alttaqwa wakanoo ahaqqa biha waahlaha wakana Allahu bikulli shayin 'aleeman (al-Fatḥ 48:26)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

याद करो जब इनकार करनेवाले लोगों ने अपने दिलों में हठ को जगह दी, अज्ञानपूर्ण हठ को; तो अल्लाह ने अपने रसूल पर और ईमानवालो पर सकीना (प्रशान्ति) उतारी और उन्हें परहेज़गारी (धर्मपरायणता) की बात का पाबन्द रखा। वे इसके ज़्यादा हक़दार और इसके योग्य भी थे। अल्लाह तो हर चीज़ जानता है

English Sahih:

When those who disbelieved had put into their hearts chauvinism – the chauvinism of the time of ignorance. But Allah sent down His tranquility upon His Messenger and upon the believers and imposed upon them the word of righteousness, and they were more deserving of it and worthy of it. And ever is Allah, of all things, Knowing. ([48] Al-Fath : 26)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

(ये वह वक्त) था जब काफ़िरों ने अपने दिलों में ज़िद ठान ली थी और ज़िद भी तो जाहिलियत की सी तो ख़ुदा ने अपने रसूल और मोमिनीन (के दिलों) पर अपनी तरफ़ से तसकीन नाज़िल फ़रमाई और उनको परहेज़गारी की बात पर क़ायम रखा और ये लोग उसी के सज़ावार और अहल भी थे और ख़ुदा तो हर चीज़ से ख़बरदार है