هٰٓاَنْتُمْ هٰٓؤُلَاۤءِ تُدْعَوْنَ لِتُنْفِقُوْا فِيْ سَبِيْلِ اللّٰهِۚ فَمِنْكُمْ مَّنْ يَّبْخَلُ ۚوَمَنْ يَّبْخَلْ فَاِنَّمَا يَبْخَلُ عَنْ نَّفْسِهٖ ۗوَاللّٰهُ الْغَنِيُّ وَاَنْتُمُ الْفُقَرَاۤءُ ۗ وَاِنْ تَتَوَلَّوْا يَسْتَبْدِلْ قَوْمًا غَيْرَكُمْۙ ثُمَّ لَا يَكُوْنُوْٓا اَمْثَالَكُمْ ࣖ ( محمد: ٣٨ )
Haantum haolai tud'awna litunfiqoo fee sabeeli Allahi faminkum man yabkhalu waman yabkhal fainnama yabkhalu 'an nafsihi waAllahu alghaniyyu waantumu alfuqarao wain tatawallaw yastabdil qawman ghayrakum thumma la yakoonoo amthalakum (Muḥammad 47:38)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
सुनो! यह तुम्ही लोग हो कि तुम्हें आमंत्रण दिया जा रहा है कि 'अल्लाह के मार्ग में ख़र्च करो।' फिर तुमसे कुछ लोग है जो कंजूसी करते है। हालाँकि जो कंजूसी करता है वह वास्तव में अपने आप ही से कंजूसी करता है। अल्लाह तो निस्पृह है, तुम्हीं मुहताज हो। और यदि तुम फिर जाओ तो वह तुम्हारी जगह अन्य लोगों को ले आएगा; फिर वे तुम जैसे न होंगे
English Sahih:
Here you are – those invited to spend in the cause of Allah – but among you are those who withhold [out of greed]. And whoever withholds only withholds [benefit] from himself; and Allah is the Free of need, while you are the needy. And if you turn away [i.e., refuse], He will replace you with another people; then they will not be the likes of you. ([47] Muhammad : 38)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और ख़ुदा तो तुम्हारे कीने को ज़रूर ज़ाहिर करके रहेगा देखो तुम लोग वही तो हो कि ख़ुदा की राह में ख़र्च के लिए बुलाए जाते हो तो बाज़ तुम में ऐसे भी हैं जो बुख्ल करते हैं और (याद रहे कि) जो बुख्ल करता है तो ख़ुद अपने ही से बुख्ल करता है और ख़ुदा तो बेनियाज़ है और तुम (उसके) मोहताज हो और अगर तुम (ख़ुदा के हुक्म से) मुँह फेरोगे तो ख़ुदा (तुम्हारे सिवा) दूसरों बदल देगा और वह तुम्हारे ऐसे (बख़ील) न होंगे